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चंडीगढ़ साहित्य अकादमी की ओर से सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी में सजाई गई कवियों की महफ़िल

चंडीगढ़ साहित्य अकादमी और सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी सेक्टर-17 के साझा तत्वावधान में शनिवार को स्टेट लाइब्रेरी में विभाष कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ अनीश गर्ग ने तरन्नुम में अपनी नज्म किताबें मजल में दफन हो चुका है कभी फुरतों में इन्हें पढ़ कर तो देखो से किया। उपस्थित लोगों ने खूब वाहवाही की और तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। सुभाष शर्मा ने बहुत मुश्किल है पिता बनना दोस्त अपने पिता को देख मुझे लगता है, विनोद शमा ने इशारों में मुझे समझाना नहीं आता, बात कुछ पते की मैं विस्तृत कह जाता पेश कर तालियां बटोरीं। कार्यक्रम माधव कौशिक, अध्यक्ष चंडीगढ़ साहित्य अकादमी, मनमोहन सिंह, उपाध्यक्ष, सुभाष भास्कर सचिव, नीलम बंसल इंचार्ज लाइब्रेरी और लाइब्रेरियन डॉ निजा सिंह के सानिध्य में हुआ।

अलका कांसरा ने कुछ है तो काम है, न जाने कहा पर गम है पेश कर तालिया बटोरी। रश्मि शर्मा है मुश्किल है पर वक़्त बिताया जा सकता है जैसे तैसे, तुम्हे भुलाया जा सकता है पेश की। संगीता शर्मा कुंद्रा ने प्यार में दिल कभी जब लगा लीजिए जिंदगी उसको अपनी बना लीजिए पर वाहवाही लूटी। इसके इलावा पाल अजनबी, रश्मि शर्मा, सवी रायत, मोहिंदर सिंह, कृष्णकांत सारथी, संगीता कुंद्रा, रेखा मित्तल, अनंत शर्मा, राजेंद्र कौर सराओ, शमशील सिंह सोढ़ी, रशीद एहमद, राजेश बट्ट, उर्मिला कौशिक सखी, बलबीर तन्हा, सुल्तान अंजुम, गुल चौहान, सिरी राम अर्श, डॉ कैलाश अहलूवालिया, प्रो गुरदीप गुल, डॉ प्रसून प्रसाद, गुमिंदर सिद्धू, सुरजीत बैंस ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की।

 

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