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CM बताएं कि आपको ‘सफल’ मोहल्ला क्लीनिक माॅडल का विज्ञापन के लिए 30 करोड़ रूपये की जरूरत क्यों: Dr. Daljit Cheema

चंडीगढ़: शिरोमणी अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से यह बताने के लिए कहा कि उनकी सरकार को मोहल्ला क्लीनिकों के विज्ञापन के लिए 30 करोड़ रूपए की आवश्यकता क्यों पड़ी, जबकि राज्य इस ‘‘ सफल माॅडल’’ के लिए सिर्फ 10 करोड़ रूपये खर्च कर रहा है। यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री मोहल्ला क्लीनिकों को सफल बता रहे हैं,जिससे 1लाख लोगों को लाभ पहुंचा है। उन्होने कहा कि अगर ऐसा है तो क्या सरकार को पंजाबियों पर भरोसा नही कि कि वे इसके सफल होने की बात चारों तरफ फैलाएंगें। उन्होने कहा,‘‘ इसकी आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के मकसद के अलावा इसकी दक्षिण भारत में इसका प्रचार करने की जरूरत समझ नही आती है’’।

डाॅ. चीमा ने कहा कि सच्चाई यह है कि दिल्ली और पंजाब दोनों में मोहल्ला क्लीनिक विफल साबित हुए हैं। उन्होने कहा कि सरकार को इस हकीकत को स्वीकार करने के बजाय पंजाब के खजाने की कीमत पर दूसरे राज्यों में इस माॅडल को बेचने की कोशिश की जा रही है। उन्होने कहा कि सिर्फ इतना ही नही,‘‘ यहां तक कि पूर्व स्वास्थ्य सचिव को भी धमकाया और फंसाया जा रहा है, जिन्होने प्रचार के लिए 30 करोड़ रूपये के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इंकार कर दिया।

डाॅ. चीमा ने मांग की कि अगर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नही है तो इस मामले की पूरी फाइल सार्वजनिक करे। उन्होने कहा, ‘‘ लोगों को खुद फैसला करने दीजिए कि कौन सही है’’। उन्होने विस्तार से बताया कि कैसे सरकार ने सुविधा केंद्रों को मोहल्ला क्लीनिकों में बदलकर तुच्छ लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की है। उन्होने कहा कि अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के मामले में भी ऐसा ही किया जा रहा है, जिन्हे बंद कर उन्हे मोहल्ला क्लीनिकों में तबदील कर विफल माॅडल के ब्रांड में तबदील किया जा रहा है। उन्होने कहा, ‘‘ भगवंत मान को यह समझना चाहिए कि पंजाब में पहले से ही स्वास्थ्य केंद्र हैं तथा मोहल्ला क्लीनिकों के नाम पर और डिस्पेंसरियों की जरूरत नही है। उन्होने कहा ,‘‘ हमें राज्य को पीछे की तरफ नही लेकर जाना चाहिए’’। उन्होने कहा कि राज्य में अच्छी माध्यमिक और सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है। उन्होने मुख्यमंत्री से अपने इस फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा ताकि राज्य में और विशेष रूप से गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों।

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