चंडीगढ़: चंडीगढ़ के कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल प्रापर्टी को लीज से फ्री होल्ड में करने की मांग कई सालों से व्यापारी करते आ रहे हैं और ऐसे में प्रशासन की ओर से गृह मंत्रलय को उक्त प्रस्ताव को भेजा था, लेकिन इस प्रस्ताव में शहर के व्यापारियों को राहत मिलने की बजाय बड़ा झटका तब लगा जब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए एफिडेविट में कहा कि चंडीगढ़ में कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी लीज से फ्री होल्ड नहीं हो सकती।
चंडीगढ़ में कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड किए जाने की प्रपोजल पर केंद्रीय गृह मंत्रलय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए एफिडेविट के बारे में उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा गृह मंत्रलय को भेजी गई प्रपोजल विस्तृत और ठीक नहीं थी इसीलिए इसको स्वीकार नहीं किया गया और इसी आधार पर एमएचए द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एफिडेविट दिया गया है।
कैलाश जैन ने मांग की है कि चंडीगढ़ प्रशासन इस बारे दोबारा विचार करके नए सिरे से विस्तृत और जनहित में प्रपोजल बनाकर गृह मंत्रलय को भेजे जिस पर एमएचए दोबारा से विचार करके उसे स्वीकार करने पर मजबूर हो जाए। कैलाश जैन का कहना है कि जब रैजिडेंशियल प्रॉपर्टी लीज होल्ड से फ्री होल्ड हो सकती है, तो कमर्शियल या इंडस्ट्रियल क्यों नहीं। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में लीज होल्ड टू फ्री होल्ड हो सकती है तो चंडीगढ़ में भी क्यों नहीं , शायद प्रपोजल बनाने में कोई खामी रह गई है जिसको दूर करके नए सिरे से प्रपोजल बना कर भेजनी चाहिए। शायद प्रशासन ने अब अभी जो प्रपोजल बनाई है उसको बनाते समय सभी तथ्यों की पूरी जानकारी विस्तार से नहीं दी गई है ।
प्रशासन को सकारात्मक सोच के साथ और सभी स्टेकहोल्डर से सलाह मशवरा करने के बाद दोबारा प्रपोजल बना कर एमएचए को भेजनी चाहिए तथा एमएचए को भी लोगों की जरूरत की मांग के मध्यनजर इसे स्वीकार करके सर्वोच्च न्यायालय में रिवाइज्ड एफिडेविट दाखिल करना चाहिए ताकि शहर वासियों को राहत मिल सके। शहर वासियों की यह बहुत ही अहम डिमांड है जिनको हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए।
वहीं लघु उद्योग भारती चंडीगढ़ ईकाई के अध्यक्ष अवि भसीन ने कहा कि उक्त मांग शहर का व्यापारी लंबे समय से कर रहा था लेकिन अब उसे निराशा ही हाथ में लगने से बड़ा झटका लगा है। शहर में पहले ही इंडस्ट्रीज का पलायन हो रहा है और अब इस फैसले से और झटका लगा है। चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को शहर के व्यापारियों की मांग के बारे में कई बार ज्ञापन दिये गए लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।