Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दूंगा : कटारिया

Gulab Chand Kataria : पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया नशे के खिलाफ सड़कों पर जनजागरण करने के लिए निकले हैं। 80 वर्ष की अवस्था और कड़ाके की ठंड में भी वह सड़कों पर रैलियों, वाक में सक्रिय होकर हिस्सा ले रहे हैं। कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। सवेरा भवन में उन्होंने दैनिक सवेरा के साथ विशेष भेंटवार्ता में कहा कि पंजाब को नशे की चंगुल से बचाना समय की जरूरत है और व्यापक जनसहयोग जुटाकर इस उद्देश्य में सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे।

उन्होंने कहा कि सरहदी जिलों की महिलाओं ने मुझसे कहा : हम अपने बच्चों को रोज मौत की ओर जाते देख रहे हैं, वे हम पर हमला भी करते हैं, आप कुछ कर सकते हैं तो नशे को रोक दो। पेश हैं उनसे किये गए सवाल-जवाब:

सवाल : आपको पंजाब राजभवन में पांच महीने हो गए हैं, आप पंजाब को अच्छी तरह समझ चुके होंगे तो सबसे पहले यही बताइए कि पंजाब कैसा लगा?

जवाब – पंजाब तो हमेशा से देश का नेतृत्व करता रहा है। इतिहास, सेना, उद्योगों में इसका नाम रहा है। विशेष कर उद्योगों में यह सिरमौर रहा। कृषि की दृष्टि से भी देखें तो भारत में अन्न की पूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख राज्य पंजाब रहा है। लेकिन मैं चार-पांच महीनों से यहां एक समस्या से रोज रूबरू हो रहा हूं। यहां नशे की प्रवृत्ति ज्यादा है। नशा गांव-गांव तक छा गया है। मैं जो दैनिक अपराध रिपोर्ट पढ़ता हूं तो उसमें रोज कहीं न कहीं ड्रग्स पकड़ी जाती हैं। मैं पंजाब में पांच सीमांत जिलों में भी घूमा। वहां की माताओं-बहनों ने मुझसे कहा कि हमारे बच्चों को नशे की इस समस्या से जल्द बचाओ। हमारा परिवार तबाह हो रहा है। हमारा बच्चा हमारे सामने आत्महत्या कर रहा है। वह मृत्यु की ओर जा रहा है। हम असहाय है। हमारे ऊपर हमला करता है। तो अगर आप कुछ कर सकते हो तो आपको इस पर कुछ कार्रवाई करनी चाहिए। उसके बाद मुझे लगा कि मुझे इस विषय पर सोचना चाहिए।

सवाल : बिल्कुल, पंजाब में ड्रग्स की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, 2012 में भाजपा-अकाली दल की सरकार में यह बड़ा मुद्दा बना, लेकिन आज तक समस्या खत्म नहीं हुई। अब आप घूम रहे हैं तो इस समस्या का हल कैसे करेंगे?

जवाब – मैं लंबे समय से जनता के बीच राजनीति में रहा हूं और मेरी समझ है कि कानून किसी भी समस्या का पूर्ण समाधान नहीं कर सकता है। जब तक जनता खुद नहीं जुड़ेगी, इसका निदान नहीं खोजेगी, इसका समाधान नहीं करेगी, तब तक कुछ नहीं हो सकता है। मैंने देखा कि कोई मैं ही अकेले प्रयास नहीं कर रहा हूं, राज्य में बहुत से लोग इस समस्या को दूर करने में लगे हुए हैं, ताकि फिर से रंगला पंजाब बनाया जा सके। मैं भी सोचता हूं कि अगर अगली पीढ़ी को बचाना है तो इस अभियान से जनता को जोड़ना पड़ेगा। यह अभियान तभी आगे बढ़ेगा जब छात्र इससे जुड़ें, धर्मगुरु, सामाजिक संस्थाएं और दूसरे संगठन इससे जुड़ें। मैं यही प्रयास कर रहा हूं कि कैसे इस समस्या को दूर करने का प्रयास कर रहे सभी लोग और संस्थाएं एक मंच पर आएं।

 

सवाल : तो आप मानते हैं कि सिर्फ कानून के बल पर नशे की समस्या खत्म नहीं होगी?

जवाब – मेरा अपना अनुभव यही है। कानून तो सारे बने हुए हैं मगर सिर्फ इस कारण सौ फीसदी अपराध नहीं रुक सकते। कोई अपराध करेगा तो उसे सजा जरूर मिल सकती है। अपराध तो तभी रुकेंगे, जब जनता इसके खिलाफ मन बनाएगी। इसी तरह मेरा मानना है कि नशे की समस्या से माता-बहनों, धर्मगुरुओं और इस दिशा में प्रयास कर रही सभी संस्थाओं से जोड़ा जाएगा तो कुछ न कुछ सफलता जरूर मिलेगी।

सवाल : आप सरहदी जिलों के दौरे के अनुभव बता रहे थे। आखिर महिलाओं ने ऐसा क्या कहा जो आप इस मुहिम में जुटने को बाध्य हो गए?

जवाब – माताओं-बहनों ने यही कि हमारे बच्चे नशे कर रहे हैं। वे नशे मांगते हैं। अगर उन्हें नशे न दिए जाएं तो उनकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि हमसे देखी नहीं जाती है। कई बार तो ये नशेड़ी बच्चे अपने माता-पिता पर हमला तक कर देते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए जो नशे भेजे जा रहे हैं, वे हमें बर्बाद कर रहे हैं। अब तो कालेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लड़के ही नहीं, लड़कियां भी नशे के जाल में फंस गई हैं। ऐसे में अगली पीढ़ी को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

 

सवाल : तो इस समस्या को रोकने के लिए आप पंजाब और केंद्र सरकार को क्या सुझाव दे रहे हैं? क्या सरकारें कुछ नहीं कर सकती हैं या फिर सिर्फ सामाजिक आंदोलन से यह समस्या खत्म हो जाएगी?

जवाब – मैंने पंजाब के मुख्यमंत्री महोदय से इस संबंध में बात की है। फिर दिल्ली में सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री वीरेंद्र सिंह जी से भी मिला। मैंने उनसे कहा कि आपका विभाग नशापीड़ितों का पुनर्वास करता है, नशा निवारण केंद्रों को अनुदान भी देता है लेकिन सिर्फ इससे यह समस्या दूर नहीं होगी। इसके लिए जनजागरण की जरूरत है। इसी उद्देश्य से मैंने यह अभियान शुरू किया है। इसके बाद राजभवन में भी सभी धर्मगुरुओं, सनातन गुरुओं, जैन मुनियों को न्योता देकर विचार विमर्श कर आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी। मैंने उनसे कहा कि वह जो भी करेंगे, उसमें मैं उनके पीछे चलकर सहयोग दूंगा।

 

सवाल : चुनावों के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नशों की आमद रोकने के लिए अमृतसर में एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की शाखा खोली जाएगी। क्या यह प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है? क्या इससे भी कुछ फर्फ पड़ेगा?

जवाब – अभी तो मेरी इस बारे में विस्तृत बात नहीं हुई है। इससे भी जरूर कुछ लाभ हो सकता है।

 

सवाल : आप इस समस्या को लेकर लगातार वॉक कर रहे हैं, अमूमन राज्यपाल ऐसा नहीं करते हैं?

जवाब – मैं कोई दिखाने के लिए यह नहीं कर रहा हूं। मेरी मन में वास्तव में पीड़ा है। मेरे पास खुशवंत जी आए थे। उन्होंने बताया कि वह नशा रोकने के लिए पदयात्र करते हैं। इस साल भी कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे चलने को नहीं कहा था, बल्कि मैंने खुद कहा कि मैं चलूंगा। जब हम ब्यास पिंड में 111 साल के धावक फौजा सिंह से मिले तो मैंने सोचा कि वह हमें सिर्फ आशीर्वाद देंगे, मगर वह खुद भी आठ सौ मीटर हमारे साथ चले।

 

सवाल : आम तौर पर राज्यपालों की धारणा होती है कि वह राज्य पर नजर तो रखेंगे लेकिन खुद इस तरह ट्रैवल नहीं करेंगे। क्या कहेंगे?

जवाब – मैंने मीडिया से कहा है कि मैं सिर्फ फोटो खिंचवाने नहीं आया हूं। मैं मन से इसमें कार्य करने आया हूं। इसलिए मैं उनके साथ पैदल चला। पहले दिन साढ़े चार किलोमीटर पैदल चलकर मैं थक जरूर गया था, इसलिए बाकी दूरी कार से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा। लेकिन अगले दिन मैं पूरे समय उनके साथ पैदल चला।

 

सवाल : आप पैदल भी चल रहे हैं और लगातार लोगों से भी मिल रहे हैं तो क्या आपको राज्यपाल का पद संभालने पर ही इस समस्या का पता चला या फिर आप पहले से इसकी गंभीरता जानते थे?

जवाब – नहीं, पंजाब में आने से पहले मैं इस समस्या की गंभीरता को नहीं जानता था। मुझे नहीं पता था कि समस्या की जड़ें इतनी गंभीर हो चुकी है। डेली क्राइम रिपोर्ट पढ़ने और लोगों से मिलने के बाद एहसास हुआ कि पंजाब की नई पीढ़ी को बचाना है। यह काम मैं अकेले नहीं कर सकता हूं, सबको जोड़कर ही कुछ किया जा सकता है। सरकार से भी बात हुई है, बाकी दलों को भी जोड़ने की कोशिश करूंगा।

 

सवाल : आपको राज्यपाल का पद संभाले पांच महीने हो गए हैं, सरकार के साथ आपका तालमेल कैसा चल रहा है?

जवाब – अभी तक तो मेरा अच्छा अनुभव है। अगर कोई बात होती है तो हम बैठकर बात करते हैं, वे मुझे समझा देते हैं या फिर मैं उन्हें समझा देता हूं।

 

सवाल : विपक्षी दल आए दिन पंजाब में कानून व्यवस्था का सवाल उठाकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हैं। आप इन मांगों को किस रूप में देखते हैं?

जवाब – संविधान ने राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था की है लेकिन ऐसा तभी होता है जब संविधान के अनुसार काम करना मुश्किल हो जाता है। मैं राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में नहीं हूं, बल्कि जनमत का आदर करने के पक्ष में हूं।

 

सवाल : क्या आज की स्थिति पंजाब में बेहतर है?

जवाब – नहीं स्थिति तो बेहतर नहीं है, लेकिन अगर मिलजुलकर प्रयास किए जाएं तो उसे बेहतर किया जा सकता है।

Exit mobile version