चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी सरबजीत उर्फ दलजीत सिंह कलसी की याचिका को खारिज कर दिया। खास बात यह है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के स्थान पर कांस्टीट्यूशन ऑफ भारत लिखा है। संविधान हर नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन यह अधिकार अंतिम नहीं है और अन्य लोगों की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए इसे सीमित किया जा सकता है
याचिका में कलसी ने कहा था कि अजनाला थाने पर हुए हमले को लेकर दर्ज एफआईआर में उसका नाम कॉलम दो में है और बावजूद इसके इस मामले में पुलिस ने उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। याची को एनएसए लगाकर डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। याची ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि अजनाला थाने पर हुए हमले के मामले में पुलिस चाहे तो असम आकर या ऑनलाइन पूछताछ करे।
याची के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को त्वरित सुनवाई का अधिकार है, जिसमें जांच सहित मुकदमे के सभी चरणों में त्वरित कार्रवाई शामिल है। सरकार को याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने और तेजी से जांच पूरी करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से यह निर्धारित किया जा सकेगा कि एफआईआर में उल्लेखित अपराधों के लिए याची पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए या नहीं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि की गई जांच और सुनवाई का अधिकार केवल तभी लागू होगा जब याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच शुरू की जाएगी।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने एनएसए लगाकर याची को पंजाब से दूर असम में भेजा है तो इसके पीछे कई कारण हैं। एनएसए लगाने के खिलाफ अभी याची सहित अन्य लोगों की अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस पर इस केस में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है।