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फूड प्रोसेसिंगके लिए लगाई जा रही है इंडस्ट्री ताकि हमारे प्रोडक्ट दुनिया के हर कोने में जा सकें : वित्त मंत्री - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
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फूड प्रोसेसिंगके लिए लगाई जा रही है इंडस्ट्री ताकि हमारे प्रोडक्ट दुनिया के हर कोने में जा सकें : वित्त मंत्री

सैंटर के शुभारंभ पर पीएयू के वाइस चांसलर डा. सतबीर सिंह गोसल, गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. इंद्रजीत सिंह, दलजीत सिंह ग्रेवाल व राजिंदरपाल कौर छीना मौजूद रही।

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लुधियाना: पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में स्थापित स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी सैंटर का शुभारंभ करने पहुंचे वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के प्रोडक्ट को दुनिया के हर कोने तक लेकर जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। जिस, जगह पर फूड प्रोसैसिंग के लिए इंडस्ट्री की जरूरत है, वहां पर खोली जा रही है। पंजाब एग्रो को मजबूत करने के लिए भी फंड मुहैया करवाए जा रहे हैं ताकि फूड इंडस्ट्री को बढ़ाया जा सके। सैंटर के शुभारंभ पर पीएयू के वाइस चांसलर डा. सतबीर सिंह गोसल, गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. इंद्रजीत सिंह, दलजीत सिंह ग्रेवाल व राजिंदरपाल कौर छीना मौजूद रही।

स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी सैंटर भारत सरकार बॉयोटैक्नोलॉजी विभाग की मदद से बनाया गया है। इस स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी सैंटर में गन्ना, आलू व फलदार फसलों के अलावा गेहूं, धान, मटर व चने की फसलों पर ट्रायल किए जा रहे है, जिनकी शुरूआत दिसंबर में की गई थी। पहले एक फसल को तैयार होने के लिए 10 से 12 वर्ष का इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब इस टैक्नीक से कम समय में ही फसलों को तैयार किया जा सकेगा। इससे किसानों को फायदे के साथ समय में भी बचत होगी। चीमा ने कहा कि स्पीड ब्रीडिंग रिसर्च किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है। मुङो खुशी है कि देश में सबसे पहले पीएयू के माहिरों ने इस टेक्नीक तैयार किया है।

इससे किसान धान व गेंहू के चक्र से बाहर निकलकर ओर भी नई फसलों को अडॉप्ट करने में अपनी रूचि दिखाएंगे, जो हमारे पर्यावरण के साथ ही जमीनी स्तर पर कम हो रहे पानी के लेवल को बचाने में मदद करेगी। इस समय जरूरत भी है कि माहिर ऐसी विशेषज्ञों की तरफ से नई-नई टेक्नोलॉजी पर रिसर्च की जा सके जो बाद में किसानों को दी जा सके। चीमा ने कहा कि किसानों तक खेती सिफारिशों को पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म के अलावा पीएयू के खेती साहित्य को ग्रामीण लाइब्रेरी तक पहुंचाने पर जोर दिया।

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