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जालंधर-चिंतपूर्णी हाईवे का मुआवज़ा वितरण घोटाला: विजीलैंस ब्यूरो ने 8 दोषियों को किया गिरफ़्तार, बाकियों की तलाश जारी

चंडीगढ़: जालंधर-चिंतपूर्णी हाईवे के लिए अधिग्रहित की ज़मीन के लिए केंद्र सरकार से प्राप्त करोड़ों रुपए के मुआवज़े की वितरण में बहु-करोड़पति घोटाले सम्बन्धी दर्ज केस के बारे विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (सिट) की तरफ से जाँच के दौरान एस. डी. एम. होशियारपुर और तहसीलदार होशियारपुर के दफ्तरों में से काफ़ी रिकार्ड गायब पाये गए। तफ्तीश में यह भी सामने आया कि तत्कालीन एसडीएम आनंद सागर ने लुईस बर्जर कंपनी की तरफ से तैयार की ड्राफ्ट 3-ए शड्यूल योजना को गलत तरीके से बदल दिया और ज़मीन का 64 करोड़ रुपए का मुआवज़ा अपने परिचतों को उसकी तरफ से इस नयी सड़क के साथ ख़रीदी ज़मीन के लिए जारी कर दिया। जांच के दौरान ब्यूरो ने इस मामले में आई. पी. सी. की एक और धारा 201 जोड़ दी है और 42 और नये मुलजिमों को नामज़द किया गया है, जिनमें से 8 मुलजिमों को शनिवार को गिरफ़्तार कर लिया गया है।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि तत्कालीन आनंद सागर शर्मा एस. डी. एम.-कम-कुलैकटर और भूमि ग्रहण अफ़सर होशियारपुर समेत कुल 13 मुलजिमों को गिरफ़्तार किया गया था जिनमें बलजिन्दर सिंह तहसीलदार होशियारपुर, मनजीत सिंह नायब तहसीलदार होशियारपुर, दलजीत सिंह पटवारी गाँव खवासपुर (पिप्पलांवाला), परविन्दर कुमार पटवारी निवासी गाँव खवासपुर, सुखविन्दरजीत सिंह सोढी रजिस्टरी क्लर्क, देवीदास डीड राईटर, हरपिन्दर सिंह गिल निवासी महाराजा रणजीत सिंह नगर होशियारपुर, सतविन्दर सिंह ढट्ट और अवतार सिंह जौहल दोनों निवासी मोहल्ला टिब्बा साहिब होशियारपुर और जसविन्दर पाल सिंह निवासी लिली काटेज, सुतेहरी रोड होशियारपुर शामिल हैं, उनको पहले ही भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13(1) (डी), 13(2) के अंतर्गत विजीलैंस पुलिस थाना, आर्थिक अपराध शाखा, लुधियाना में एफआईआर नंबर 01 तारीख़ 10- 02- 2017 के अंतर्गत दर्ज किये गए इस केस में गिरफ़्तार या जांच में शामिल किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि इस केस की आगे जांच के लिए विशेष जज लुधियाना की समर्थ अदालत द्वारा तारीख़ 05- 04- 2022 को दिए हुक्मों अनुसार मुख्य डायरैक्टर, विजीलैंस ब्यूरो पंजाब की तरफ से विजीलैंस के डायरैक्टर राहुल एस. की निगरानी अधीन तीन सदस्यीय एस. आई. टी. का गठन किया गया, जिसमें राजेश्वर सिंह, एस. एस. पी, विजीलैंस ब्यूरो रेंज जालंधर, गुरमीत सिंह, एस. एस. पी, विजीलैंस ब्यूरो रेंज फ़िरोज़पुर और सूबा सिंह, एस. एस. पी, आर्थिक अपराध विंग, विजीलैंस ब्यूरो लुधियाना को मैंबर बनाया गया। जांच के दौरान पता लगा कि तत्कालीन एसडीएम होशियारपुर आनंद सागर शर्मा ने अपने तरफ से तैयार किये शड्यूल 3-ए में पाँच गाँवों खवासपुर, डिगाना कलाँ, डिगाना खुर्द, हरदो खानपुर और खसरा बस्सी जोना/ चोहली के हाईवे अलाईनमैंट को बदल दिया जोकि एक सर्वेक्षण के बाद लुईस बर्जर कंपनी द्वारा तैयार किया मूल ड्राफ्ट अनुसूची 3-1 के साथ मेल नहीं खाता।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि कार्यकारी इंजीनियर लोक निर्माण विभाग होशियारपुर से उक्त शड्यूल ड्राफ्ट 3-ए प्राप्त करने के उपरांत तत्कालीन एसडीएम होशियारपुर आनंद सागर शर्मा ने इसमें दर्ज दस्तावेज़ों की तस्दीक करनी थी परन्तु उन्होंने उक्त ड्राफ्ट शड्यूल को अपने दफ़्तर में 4 महीनों से अधिक समय के लिए लम्बित रखा। इस मामले में उक्त मुलजिम एसडीएम आनंद सागर शर्मा ने नोटिफिकेशन के लिए शड्यूल 3 ए में उक्त पाँच गाँवों के खसरा नंबरों को पूरी तरह बदल दिया। उक्त बदले हुए खसरा नंबर नोटिफिकेशन 3-डी और 3-जी में भी प्रकाशित किये गए थे। उक्त दोषी एस. डी. एम ने अपने अधीन पटवारी से झूठी रिपोर्टें लेकर ज़मीन की किस्म को गलत तरीके से कृषि से रिहायशी/ व्यापारिक बना दिया और इस सम्बन्धी झूठा परिवर्तन सर्टिफिकेट तैयार कर लिया।

बाद में, केंद्र सरकार की तरफ से कुल 286, 36, 13, 620 रुपए मुआवज़ा राशि के तौर पर प्राप्त किये गए जो उक्त एस. डी. एम की तरफ से अपराधिक साजिश के अंतर्गत भू-माफिया के साथ मिलीभुगत करके, मुआवज़े के लिए नोटिफिकेशन ए, डी, जी में कृषि ज़मीन के तौर पर प्रकाशित की गई ज़मीन के लिए रिहायशी दरों पर 64, 13, 66, 399 रुपए गैर कानूनी तरीके से मुआवज़ा वितरित कर दिया।

और जानकारी देते हुये प्रवक्ता ने बताया कि जाँच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि दोषी आनंद सागर शर्मा ने शड्यूल ड्राफ्ट 3 ए तैयार करते समय अपने परिचित व्यक्तियों के साथ मिलकर मुआवज़ा राशि हड़पने की साजिश रची थी। उक्त पाँच गाँवों के बदले असली ज़मीन मालिकों की गुप्त सूचना अपने नज़दीकी साथियों को देने के बाद मुलजिमों ने बदले हुए खसरा नंबरों वाले सम्बन्धित असली ज़मीन मालिकों के साथ संपर्क किया और राजस्व अधिकारियों की मिलीभुगत से ज़मीनें खरीद ली गई। इन खसरा नंबरों के मालिकों को यह नहीं पता था कि उनकी ज़मीन के खसरा नंबर अनुसूची 3-ए की बदली हुई अलाईनमैंट में दर्ज हैं क्योंकि उक्त क्षेत्र में कभी कोई सर्वेक्षण ही नहीं किया गया था। पड़ताल के दौरान पाया गया कि नोटिफिकेशन 3 ए के बाद और अवार्ड के वितरण तक गाँव खवासपुर और हरदो खानपुर के साथ सम्बन्धित बदली गई अलाईनमैंट में पड़ते इलाके में राजस्व आधिकारियों की तरफ से कुल 54 रजिस्टरियाँ दर्ज की गई।

यहाँ बताने योग्य है कि नेशनल हाईवे एक्ट 1956 की धारा 3 सी के अंतर्गत ज़मीन मालिकों की तरफ से नेशनल हाईवे के लिए ऐकुआइर की गई ज़मीन सम्बन्धी 40 आवेदन पत्र आनंद सागर शर्मा की तरफ से प्राप्त करके ज़िला होशियारपुर के तहसीलदार होशियारपुर के द्वारा सम्बन्धित कानूनगो होशियारपुर, नसराला और प्रेमढ़ को रिपोर्ट के लिए भेजी गई थीं। मुलजिम आनंद सागर शर्मा की तरफ से इन 40 आवेदन पत्रों की रिपोर्ट तहसीलदार होशियारपुर से प्राप्त न होने के बावजूद भी उसने अपने निजी लाभ के लिए गाँव खवासपुर में अपने परिचित व्यक्तियों की तरफ से खरीदी ज़मीनें सम्बन्धित नेशनल हाईवे एक्ट 1956 की धारा 3 सी के अधीन प्राप्त 4 आवेदन पत्र अलग तौर पर लिये। उसने उक्त ज़मीन की गलत तस्दीक करवा कर उक्त ज़मीन पर स्थापित कालोनी के तौर पर सम्बन्धित पटवारी से सीधे तौर पर झूठी रिपोर्ट प्राप्त की, जबकि नोटिफिकेशन 3 डी और 3 जी में इन ज़मीनें की किस्म ’चाही’ (काश्तयोग) के तौर पर बतायी गई थी।

ताज़ा जांच के दौरान उक्त मामले में एस. डी. एम होशियारपुर और दफ़्तर तहसीलदार होशियारपुर में अपेक्षित रिकार्ड गायब पाया गया जिस कारण इस केस में आई. पी. सी. की धारा 201 जोड़ कर उक्त मामले में 42 और नये मुलजिम नामज़द किये गए हैं। विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से नये नामज़द किये गए मुलजिमों में से 8 मुलजिमों को तारीख़ 18. 11. 2023 को गिरफ़्तार किया गया है।

इस मामले में मुलजिम प्रदीप गुप्ता निवासी चर्च रोड, सिवल लाईन होशियारपुर ने मुलजिम हरपिन्दर सिंह के साथ मिलीभुगत के साथ अपने पुत्रों प्रतीक गुप्ता और अमृतप्रीत सिंह के नाम गाँव खवासपुर में 9 कनाल 4 मरले ज़मीन कालोनी रेट 6 63, 39, 000 में ख़रीदी और अपने पुत्र प्रतीक गुप्ता के बैंक खाते में 6 63, 39, 000 रुपए की मुआवज़ा राशि प्राप्त की। मुलजिम सन्नी कुमार नंबरदार निवासी गाँव खवासपुर ने रजिस्टरी के समय सुरजीत सिंह के उपस्थित न होने के बावजूद मुलजिमों की मिलीभुगत के साथ उस गाँव का नंबरदार होने की झूठी गवाही दी। दोषी दलविन्दर कुमार निवासी गाँव खवासपुर ने अपने परिचित हरपिन्दर सिंह के साथ मिलकर साजिश रची और खरीददार के तौर पर हरपिन्दर सिंह के परिचितों के नाम पर ज़मीन की रजिस्टरी करवा दी। मुलजिम हरदीप कौर पत्नी रुपिन्दर सिंह गिल निवासी गुरू तेग़ बहादुर नगर, जालंधर ने अपने पति और अपने जीजा मुलजिम हरपिन्दर सिंह के साथ मिलकर साजिश के अंतर्गत 4 कनाल 17 मरले ज़मीन अपने नाम करवा ली और उसका मुआवज़ा 2 42, 89, 200 रुपऐ अपने बैंक खाते में डलवा लिया। कथित दोषी तजिन्दर सिंह निवासी कुंज एक्स्टेन्शन, जालंधर ने अपने परिचित हरपिन्दर सिंह के साथ साजिश रच कर 18 मरले 1 सरसायी ज़मीन अपने नाम पर रजिस्टर्ड करवा के बैंक खाते में 56, 16, 000 रुपए बतौर मुआवज़ा निगल लिए। दोषी मोहित गुप्ता, निवासी मिलरगंज ओवरलाक रोड, लुधियाना ने 27, 00, 000 रुपए बतौर मुआवज़ा अपने खाते में ट्रांसफर किया। मुलजिम रामजी डीड राईटर तहसील कंपलैक्स होशियारपुर, निवासी गाँव मरूली ब्राह्मण ने तहसीलदार, नायब- तहसीलदार, रजिस्टरी क्लर्क और मुलजिम खरीददारों की मिलीभुगत के साथ 31 रजिस्टरियाँ लिखवा कर असली मालिकों के साथ धोखा किया है। मुलजिम जसविन्दर सिंह पटवारी (अब सेवामुक्त), राजस्व हलका डिगाना कलाँ, डिगाना खुर्द और हरदोखानपुर ने असली ज़मीन मालिकों के साथ धोखा करते हुये फ़र्ज़ी खरीददारों के साथ मिलीभुगत करके नोटिफिकेशन के बाद ख़रीदी ज़मीन का तबादला करवा दिया।

उन्होंने बताया कि इन 8 मुलजिमों को रविवार को स्थानीय अदालत में पेश करके आगे पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड की माँग की जायेगी। विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से और जांच जारी है और बाकी दोषियों की गिरफ़्तारी के लिए उनकी रिहायशों और अन्य छिपने वाले स्थानों पर छापेमारी की जा रही है और इनको जल्द गिरफ़्तार कर लिया जायेगा।

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