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अमृतसर में बन रहे अवैध होटलों पर नगर निगम खामोश

अमृतसर: अमृतसर के गोल्डन एवेन्यू के सामने आलू मंडी क्षेत्न में बन रहे अवैध होटलों को लेकर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले महीने नगर निगम के माननीय एमटीपी द्वारा इन होटलों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिसे मीडिया ने भी प्रमुखता से कवर किया था। इसके बावजूद संबंधित.

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अमृतसर: अमृतसर के गोल्डन एवेन्यू के सामने आलू मंडी क्षेत्न में बन रहे अवैध होटलों को लेकर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले महीने नगर निगम के माननीय एमटीपी द्वारा इन होटलों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, जिसे मीडिया ने भी प्रमुखता से कवर किया था। इसके बावजूद संबंधित होटल संचालकों ने निर्माण कार्य दोबारा शुरू कर दिया है।

स्थानीय नागरिकों और पत्रकारों ने लगातार नगर निगम अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है और कई बार अवैध निर्माण की तस्वीरें और वीडियो भी भेजी गई हैं। 15 अप्रैल को भी एमटीपी को फोन कर स्थिति से अवगत कराया गया था, लेकिन न फोन उठाया गया और न कोई जवाब मिला। आज फिर कॉल की गई, जिसे काट दिया गया।

इस अवैध निर्माण को लेकर पहले भी नगर निगम के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी है, जिसमें जॉइंट कमिश्नर जय इंदर सिंह भी मौजूद थे। बताया गया था कि शिवाला वीरभान के पास स्थित इस इमारत का कमिर्शयल नक्शा पास था और इसे कंप्लीशन सर्टीफिकेट भी जारी किया जा चुका है लेकिन दस्तावेज़ों के अनुसार नक्शा केवल तीन मंज़िलों का पास था, जबकि अब वहाँ पांच मंज़िलें खड़ी हो चुकी हैं और वह भी होटल के रूप में, जबकि नक्शा दुकानों के लिए पास हुआ था।
चौकाने वाली बात यह है कि अधूरी इमारत को भी कंप्लीशन सर्टीफिकेट दे दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि एमटीपी और एटीपी विभाग के कुछ अफसरों ने मिलीभगत कर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। अब जब मीडिया द्वारा इस मामले को उठाया गया तो सूचना मिली कि कंप्लीशन सर्टीफिकेट को रद्द किया जा रहा है।

प्रश्न यह उठता है कि जब निर्माण तीन मंज़िल तक ही स्वीकृत था, तो पाँच मंज़िलें कैसे खड़ी हो गईं? और अधूरी इमारत को इतनी जल्दबाज़ी में कंप्लीशन सर्टीफिकेट क्यों दे दिया गया? अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि अवैध इमारतें नहीं बनेंगी और बनी हुई इमारतों को तोड़ा जाएगा, तो फिर नगर निगम इनका पालन क्यों नहीं कर रहा?

स्थानीय निवासियों और पत्रकारों ने मांग की है कि इस भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी खजाने में आने वाला पैसा कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में न चला जाए।

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