पंजाब डेस्क: बठिंडा जिले के नागरिकों को अब स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक बड़ी राहत मिलने जा रही है। पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जिले में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। इसके तहत जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में 8 नए आयुष्मान आरोग्य केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिसकी कुल लागत 6 करोड़ 8 लाख 76 हजार रुपए होगी। ये सभी केंद्र कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (CSR) फंड के माध्यम से बनाए जाएंगे। साथ ही, 5 नए आम आदमी क्लीनिक भी स्थापित किए जाएंगे, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों की दहलीज़ तक पहुंचेंगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में होगा विकास, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं होंगी सुलभ
इस परियोजना की योजना जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है और इसे हाल ही में आयोजित जनरल हाउस बैठक में मंजूरी दी गई। उपायुक्त शौकत अहमद परे की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई और काम को जल्द शुरू करने के निर्देश जारी किए गए।
इन केंद्रों का इन गांवों में किया जाएगा:
गांव रायके कलां – ₹91.81 लाख
गांव मेहता – ₹83.06 लाख
गांव जीवन सिंह वाला – ₹78.88 लाख
गांव झंडू – ₹76.70 लाख
गांव चक फतेह सिंह वाला – ₹80 लाख
गांव भोढ़ीपुरा – ₹49.51 लाख
गांव नथाना – ₹74.97 लाख
गांव मिर्जीआना – ₹73.83 लाख
इन सभी केंद्रों को हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर्स के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां ओपीडी सेवाएं, लैब टैस्ट, दवाइयां और सामान्य चिकित्सा सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएंगी।
स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच होगा सरकार का लक्ष्य
सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक को 3 किलोमीटर की परिधि में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। इसी सोच के तहत नए केंद्रों की लोकेशन ऐसे क्षेत्रों में तय की गई है, जहां पहले से कोई सरकारी अस्पताल या क्लीनिक नजदीक न हो। इससे अधिक से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
जनसेवा के लिए एक मिसाल
यह योजना न सिर्फ ग्रामीण बठिंडा के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि यह CSR फंड के सदुपयोग और जनसेवा का बेहतरीन उदाहरण भी है। आने वाले महीनों में इन केंद्रों के निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू होने की उम्मीद है।इस पहल से जहां आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं उनके घर के पास ही मिलेंगी, वहीं स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं पर से दबाव भी कम होगा। यह कदम पंजाब सरकार के “स्वस्थ पंजाब” के लक्ष्य की ओर एक और सशक्त प्रयास है।