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गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल देना निंदनीय: शिरोमणी अकाली दल

चंडीगढ़: शिरोमणी अकाली दल ने आज गुरमीत राम रहीम को दी गई पैरोल सुविधा के दुरूपयोग की निंदा करते हुए हरियाणा सरकार द्वारा दोषी बलात्कारी को राज्य स्तरीय समारोह में शामिल होने के लिए दिए गए निंमत्रण को न्यायिक प्रक्रिया को चुनौती करार दिया।

शिरोमणी अकाली दल की कल देर शाम हुई पंथक एडवाइजरी बोर्ड की मीटिंग में कहा गया कि जिस तरह से हरियाणा सरकार के शीर्ष पदाधिकारी राम रहीम का सम्मान कर रहे हैं, उससे नागरिक समाज में गलत संदेश गया है। उन्होने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के विशेष अधिकारी और भाजपा सांसद जैसे राज्य सरकार के पदाधिकारियों को यह शोभा नही देता कि वे बलात्कारी और हत्यारे को राज्य स्तरीय समारोहों के लिए आमंत्रित करें’’। इसने कहा कि यह व्यावहारिक रूप से अदालत की अवमानना के बराबर है।

अकाली दल अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में एडवाइजरी बोर्ड की मीटिंग में कहा गया कि भले ही राम रहीम के खिलाफ आपराधिक मामले अब भी लंबित हैं, फिर भी हरियाणा सरकार को उसे वीवीआईपी मानकर उसे पूरा समर्थन दे रही है। उन्होने कहा ‘‘ ऐसी स्थिति में दोषी अपने खिलाफ दर्ज मामलों में गवाहों को प्रभावित कर सकता है। उन्होने कहा कि इन सभी मुददों को ध्यान में रखते हुए राम रहीम को पश्चिम बंगाल जैसे उत्तर भारत से दूर किसी गैर भाजपा राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए’’।

बोर्ड ने कहा कि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा बंदी सिंहों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान को बहुत समर्थन मिल रहा है। इसमें कहा कि सिख राम रहीम के बार बार पैरोल पर रिहा होने से बेहद परेशान हैं , क्याकि सिख बंदियों को 28 साल से पैरोल की सुविधा के बिना रखा गया है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने खुलासा किया कि संस्था ने पहले ही 12 लाख हस्ताक्षर एकत्र कर लिए हैं और बंदी सिंहो के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उनकी रिहाई की मांग करते हुए 25 लाख हस्ताक्षर एकत्र करने की संभावना है। उन्होने कहा कि आने वाले दिनों में गांवों और शहरों में समाज के सभी वर्गों के लोगों से संपर्क करके अभियान को और अधिक व्यापक बनाया जाएगा।

बोर्ड ने इस बात पर भी गौर किया कि अल्पसंख्यकों को मान्यता देने के मानदंडों को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें कहा गया कि अगर ऐसा किया गया तो सिख पंजाब के संस्थानों में अल्पसंख्यक दर्जे के तहत आरक्षण का लाभ नही उठा पांएंगें। इस मुददे का समाधान करने के लिए उन्होने एक पैनल बनाने का फैसला किया गया। बोर्ड ने सर्वसम्मति से एसजीपीसी अध्यक्ष एच.एस.धामी पर हुए हमले की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया , जिसमें कहा गया कि यह हमला सिख संस्थान को कमजोर करने की साजिश करार दिया है।

इस मीटिंग में बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. पे्रम सिंह चंदूमाजरा, परमजीत सिंह सरना, गोबिंद सिंह लौंगोवाल, गुलजार सिंह रणीके, डाॅ. दलजीत सिंह चीमा(सदस्य सचिव), अलविंदरपाल सिंह पखोके, प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा, भाई मंजीत सिंह, भाई राम सिंह, गुरचरण सिंह ग्रेवाल, राजिंदर सिंह मेहता, अमरजीत सिंह चावला, करनैल सिंह पीरमोहम्मद, बीबी किरनजीत कौर, बीबी हरजिंदर कौर चंडीगढ़, रंजीत कौर दिल्ली, बाबा बूटा सिंह, जगजीत सिंह तलवंडी, प्रीतपाल सिंह पाली और बाबा टेक सिंह धनौला शामिल थे।

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