SGPC ने श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक होने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए किए विशेष प्रबंध

पवित्र परिक्रमा में रंग-बिरंगें कालीन व दरियां बिछाई।

अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शनों के लिए पहुंचने वाले देशविदेश के श्रद्धालुओं को हांड कंपाती ठंड से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। श्री हरिमंदिर साहिब के प्रवेश द्वारों पर श्रद्धालुओं को अपने पांव धोने के लिए गर्म पानी उपलब्ध करवाया जा रहा। श्रद्धालुओं को पवित्न परिक्रमा के दर्शनों के दौरान ठंड की अनुभूति न हो, इसके लिए पवित्न परिक्रमा के फर्श पर चटाई और कालीन बिछाए गए हैं। श्री दरबार साहिब के मैनेजर भगवंत सिंह धंगेरा ने बताया कि गुरु घर आने वाले श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

गुरु घर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं के पैर धोने के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि श्री हरमंदिर साहिब की पूरी परिक्रमा में हरे रंग की चटाई व क्लीन बिछाई गई है। ताकि परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं को ठंड से बचाया जा सके। इसके अलावा दर्शनी डियोड़ी से लेकर श्री दरबार साहिब के मुख्य भवन तक पूरे पुल तक, मुख्य भवन के आसपास व भीतर व पहली और दूसरी मंजिल पर विशेष नए मोटे कालीन बिछाए गए हैं। श्री अकाल तख्त साहिब और उसके आसपास के सभी गुरु द्वारों में भी ऐसे ही कालीन बिछाए गए हैं।

श्री हरमंदिर साहिब की ऊपरी मंजिलों की खिड़कियां बंद रखी जा रही हैं। परिक्रमा और बरामदों में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए विशेष कालीन बिछाए गए हैं। परिक्रमा के बाहर चारों तरफ बने गेटों के पास चाय के लंगर भी चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लंगर हॉल में भी विशेष चटाई बिछाई जा रही है। इसके साथ ही पिछले तीन सप्ताह से पड़ रही हाड़ कंपा देने वाली ठंड और कोहरे के कारण गुरु घर में माथा टेकने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी थोडी कमी आई है।

आयोजकों के मुताबिक, आसपास के इलाकों और पंजाब से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है। श्री दरबार साहिब के प्रबंधक के मुताबिक, पहले आम दिनों में श्री हरमंदिर साहिब में कड़ाह-प्रसाद के लिए आठ क्विंटल से ज्यादा देसी घी का इस्तेमाल होता था, लेकिन फिलहाल पांच क्विंटल देसी घी का इस्तेमाल हो रहा है। इसी तरह गुरु द्वारा बाबा दीप सिंह शहीद में कड़ाह- प्रशाद की मात्ना में कमी आई है।

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