जालंधर: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीमों ने आज जालंधर वेस्ट ब्लॉक में उर्वरक विक्रेताओं/डीलरों की दुकानों और गोदामों की जांच की, जिस दौरान गेहूं और आलू की बुआई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न उर्वरकों के 10 नमूने एकत्र किए गए । मुख्य कृषि अधिकारी डा. रणधीर सिंह ठाकुर ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को डी.ए.पी. एवं अन्य आवश्यक उर्वरक मिलने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए डिप्टी कमिश्नर डा. हिमांशु अग्रवाल के निर्देश पर जिले में विशेष चैकिंग अभियान चलाया गया है, जिसके तहत लगातार विभिन्न ब्लॉक में खाद दुकानों की जांच की जा रही है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को खाद के साथ कोई अन्य दवा जबरदस्ती न दी जाए।
डा.रणधीर सिंह ने बताया कि चैकिंग के दौरान उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि उर्वरकों की अनावश्यक स्टोरेज न की जाए, उर्वरक, बीज व रसायन निर्धारित दरों पर ही बेचे जाएं, किसी भी वस्तु के साथ टैगिंग न की जाए और किसानों को खरीदे समान का पक्का बिल दिया जाए।
इसके अलावा उर्वरक का स्टॉक और कीमत रोज़ाना स्टॉक बोर्ड पर लिखने का भी निर्देश दिया गया है। उन्होंने किसानों से खाद, कीटनाशक रसायन या बीज खरीदते समय दुकानदार से बिल लेने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि कोई डीलर बिल देने से इनकार करता है तो कृषि विभाग के दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। मुख्य कृषि अधिकारी ने किसानों को रबी की फसल लगाने के लिए डी.ए.पी. पर अपनी निर्भरता कम कर इसके विकल्प अपनाने को कहा। उन्होंने बताया कि ट्रिपल सुपर फास्फेट (0:46:0), एन.पी.के. (12:32:16), सिंगल सुपर फॉस्फेट एन.पी.के (16:16:16), नाइट्रो फॉस्फेट (20:20:13) और अन्य फास्फोरस युक्त उर्वरकों को डी.ए.पी के विकल्प के तौर पर उपयोग किया जा सकता है यह उर्वरक भी डीएपी के समान रूप से प्रभावी है। बता दे कि चैकिंग टीम में कृषि पदाधिकारी डा. सुरजीत सिंह, कृषि विकास अधिकारी मीनाक्षी कौशल व विभाग के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।