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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114पिछले कुछ समय में मल्टीनेशनल कंपनियों ने तेजी सक भारत का रूख किया है। इसी के साथ विदेशी भाषाओं में अनुवादकों की मांग ने युवाओं के लिए कॅरियर के नये रास्ते खाले दिये हैं। अनुवादक और इंटरपरेटर के रूप में काम करने के लिए विभिन्न विदेशी भाषाओं के जानकार युवाओं की तलाश ने जोर पकड़ा है। जिसमें वेतन के रुप में एक अच्छा पैकेज देने की बात भी कही जा रही है। भारत में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जैसे कि ट्रैवल्स कंपनियां, पांच सितारा होटल और आईटी कंपनियां विदेशी भाषा के अच्छे जानकारों की खोज में हैं। एमबीए और बीबीए की पढाई कराने वाले संस्थानों में भी छात्रों को विदेशी भाषा सिखाने के ट्रेंड ने जोर पकड़ा है। इनमें फ्रेंच, स्पैनिशन, इटैलियन, जर्मन, रशियन, जैपनीज और कोरियन जैसी भाषाएं प्रमुख हैं।
इन संस्थानों में भी शिक्षकों की अच्छी खासी मांग है। देश में अनलाॅक शुरू होने के साथ ही पर्यटन उद्योग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। यहां हर साल लाखों की संख्या में आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए टूरिस्ट गाइड या टूर आॅपरेटर की जरूरत पड रही है। गाइड के लिए विदेशी भाषा की जानकारी होना एक जरूरी योग्यता बन गई है। मेडिकल टूरिज्म के तहत खाडी के देशों के लोग हर साल यहां निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इन्हें उचित तरीके से मार्गदर्शन के लिए विदेशी भाषा के विशेषज्ञ की जरुरत पडती है।
वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद और पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी ऐसे लोगों के लिए निजी व्यवसाय के रूप में काम करने का मौका दे रहा है। विदेशी भाषाओं के जानकार विदेशी मीडिया में भारत से ही रिपोर्टिंग का काम संभाल रहे हैं। इधर मेक इन इंडिया ने इस प्रक्रिया को और बढ़ावा दिया है। विदेशी कंपनियां भारत में अपने बेस ऑफिस स्थापित कर रही हैं। ऐसी बहुत कंपनियां हैं जो अंग्रेजी की अपेक्षा अपनी भाषा में ही कार्य करने को प्राथमिकता देते हैं, उन कंपनियों के अधिकारियों को भारतीय समकक्षों के साथ बात करने में भाषाई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उस देश की भाषा और भारतीय भाषाओं के जानकार ही संप्रेषण की इस खाई को पाटते हैं। लिहाजा ऐसे जानकारों के लिए जॉब की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
शैक्षणिक योग्यता
हालांकि कोई भी भाषा सीखने के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। आप स्कूली शिक्षा के दौरान भी कोई एक विशेष देशी या विदेशी भाषा एक विषय के रूप में पढ़ सकते हैं। विदेशी भाषाओं के लिए उच्च स्तर की शिक्षा के लिए कुछ विशेष संस्थान होते हैं, जहां 12वीं के बाद प्रवेश लेकर आप भाषा विशेष में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। ये कोर्स 6, 9, 12, 18 महीने या इससे अधिक के भी हो सकते हैं। आप विभिन्न विश्वविद्यालयों से पार्ट टाइम या फुल टाइम सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं और इसके बाद परफेक्शन के लिए एडवांस्ड लेवल की शिक्षा ले सकते हैं।
स्किल
इस क्षेत्र में आने वाले छात्र को संबंधित विदेशी भाषा पर कमांड होनी चाहिए। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल इस क्षेत्र में कामयाबी के कई रास्ते दिखाती है। अगर अनुवादक बनना चाहते हैं तो विदेशी भाषा के साथ साथ अंग्रेजी या हिन्दी पर भी पकड होनी चाहिए। जिस विदेशी भाषा को सीख रहे हैं उसका व्याकरण, वाक्य संरचना और उससे जुडी संस्कृति व इतिहास की भी जानकारी होनी चाहिए। आकर्षक व्यक्तित्व भी होना चाहिए क्योंकि कई जगहों पर इसकी अपेक्षा भी की जाती है। अगर टूरिज्म के क्षेत्र में जाना है या आतिथ्य सत्कार या विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भ्रमण पर जाना है तो छात्र को मिलनसार होना भी जरूरी है।
लैंग्मा स्कूल ऑफ लैंग्वेजिज के डायरेक्टर संजीव रावत का कहना है कि विदेशी भाषाओं में कोर्स करने के बाद हेल्थकेयर, शिक्षा, टूरिज्म, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, दूतावासों तथा देश के विभिन्न संस्थानों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं langmainternational.com पर्यटन, होटल, इंटरनेशनल मीडिया हाउस में न्यूज ट्रांसलेटर या बतौर रिपोर्टर भी कार्य कर सकते हैं।
कैसी-कैसी जॉब्स
फॉरेन सर्विसेज
फ्रेंच, जर्मन और रशियन भाषाओं में मास्टर्स करने वाले व्यक्ति संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस या आईएफएस में जा सकते हैं।
टीचिंग
देशी विदेशी भाषाओं में भविष्य संवारना हो तो टीचिंग भी एक बेहतरीन जॉब आॅप्शन हो सकता है। कई संस्थान फॉरेन लेंग्वेज में कोर्स करवाते हैं। यहां आप लेंग्वेज टीचर के रूप में काम कर सकते हैं। आप चाहें तो पार्ट टाइम भी इन संस्थानों में टीचिंग कर सकते हैं। यहां भी आपको अच्छा वेतन मिल सकता है। भारतीय भाषाओं के जानकारों को भारत में तो जॉब मिल ही सकती है, विदेश में भी जहां वह भाषा पढ़ाई जा रही है, वहां नौकरी हासिल की जा सकती है। आॅनलाइन अध्यापन का क्षेत्र भी आपके करियर को बूस्ट कर सकता है।
पर्यटन
पर्यटन विश्व का एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है। सभी देशों की सरकारें इसे बढ़ावा दे रही हैं। भाषा, विशेषकर विदेशी भाषा के जानकार यहां भी गाइड बन कर मोटा पैसा कमा सकते हैं। इसके अलावा भारत से बाहर घूमने जाने वाले पर्यटकों व बिजनेस डेलिगेशन के साथ भी आप एक इंटरप्रेटर की भूमिका निभा सकते हैं। इस दौरान आप अर्निंग के साथ-साथ बाहर घूमने का आनंद भी क्लाइंट के खर्चे पर उठा सकते हैं।
इंटरपरेटर
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग या वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नोलॉजी आने से अब आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ उनकी भाषा में मीटिंग कर सकते हैं। इस तरह आप एक इंटरपरेटर के तौर पर कार्य कर अच्छा वेतन हासिल कर सकते हैं। आप किसी सरकारी या बिजनेस डेलिगेशन का हिस्सा बन कर भी इंटरपरेटर की भूमिका निभा सकते हैं।
ट्रांसलेटर
कई व्यावसायिक संस्थानों को अपने बिजनेस पार्टनर या क्लाइंट्स से कम्युनिकेशन करने के लिए ट्रांसलेटरों की जरूरत पड़ती है। आप रेगुलर या पार्ट टाइम ट्रांसलेटर के तौर पर काम कर सकते हैं।
बीपीओ
देश में बीपीओ इंडस्ट्री के तेजी से फलने-फूलने के पीछे फॉरेन लेंग्वेज में स्किल्ड प्रोफेशनल्स का बड़ा हाथ है। ये लोग डेटा प्रोसेसिंग से लेकर अन्य जॉब्स में भी बखूबी अपनी स्किल का लोहा मनवा रहे हैं। यही वजह है कि विदेशी भाषा में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स को ये बीपीओ कंपनियां हाथोहाथ जॉब देती हैं और वेतन भी काफी सम्मानजनक होता है।
वेतन
अनुवादक बनने पर शुरूआती वेतनमान 50-60हजार रूपये हैं। यह आगे चलकर वरिष्ठता के क्रम से बढता जाता है। इंटरपरेटर या दुभाषिये का वेतनमान 60 से 70 हजार रूपये प्रतिमाह है। निजी एजेंसियों में भी नौकरी करने पर शुरूआती वेतनमान 50 हजार से 60 हजार रूपए हैं। इंटरपरेटर का वेतनमान 80 हजार रूपये से लेकर लाख रूपये से उपर जाता है। विदेशी कंपनियों के साथ इस तरह के काम में लोगों को प्रतिमाह लाखों रूपये मिलते हैं। निजी व्यवसाय के रूप में साहित्य या अन्य अध्ययन सामग्री का अनुवाद करने पर प्रतिमाह घर बैठे लाख से दो लाख रूपये कमाए जा सकते हैं। विदेषी भाषा के षिक्षक को स्कूलों में 30 हजार रूपये और काॅलेज में शुरूआती वेतनमान 50 हजार रूपये हैं।