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War Against Drugs 2.0: पंजाब पुलिस मादक पदार्थ का व्यापार करने वाली बड़ी मछलियों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों पर शुरू किए गए नशों के विरुद्ध चल रहे युद्ध ‘युद्ध नशियां विरुद्ध’ के हिस्से के रूप में गहन कार्रवाई के बाद नशों की सड़कों पर आपूर्ति में भारी कमी देखी गई है, जिसके बाद पंजाब पुलिस ने अब राज्य में नशीले पदार्थों के व्यापार को बढ़ावा देने वाले ड्रग सप्लायरों और किंगपिनों सहित बड़ी मछलियों को निशाना बनाकर उच्च स्तरीय ड्रग नेटवर्क को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया है, यह जानकारी गुरुवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने दी।

डीजीपी ने यहां पंजाब पुलिस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हम नशा तस्करों/विक्रेताओं की सड़क स्तर पर गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगा रहे हैं। पंजाब पुलिस की टीमें अब राज्य में नशीले पदार्थों के व्यापार में बड़ी मछली का पता लगाने और उनकी पहचान करने के लिए सभी गिरफ्तार नशा तस्करों/विक्रेताओं से सख्ती से पूछताछ कर रही हैं।”

उनके साथ पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) मुख्यालय डॉ. सुखचैन सिंह गिल भी थे।

यह घटनाक्रम डीजीपी पंजाब द्वारा सभी पुलिस आयुक्तों (सीपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को सात दिनों के भीतर अपने-अपने जिलों में मुख्य ड्रग आपूर्तिकर्ताओं/तस्करों की पहचान करने और उन्हें सूचीबद्ध करने के निर्देश देने के तुरंत बाद हुआ है।

डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा 1 मार्च, 2025 को शुरू किए गए नशा विरोधी अभियान ‘युद्ध नशिया विरुद्ध’ के परिणामस्वरूप राज्य भर में 2384 एफआईआर दर्ज करने के बाद 4142 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है और नशा तस्करों के कब्जे से 146.3 किलोग्राम हेरोइन, 85.3 किलोग्राम अफीम, 19.95 क्विंटल चूरापोस्त, 7.69 लाख नशीली गोलियां/कैप्सूल, 1 किलो आईसीई और 5.83 करोड़ रुपये की ड्रग मनी बरामद की गई है।

उन्होंने बताया कि चल रही कार्रवाई के कारण सड़क पर नशीली दवाओं की उपलब्धता में भारी कमी आई है, जिससे पुलिस अब आपूर्ति श्रृंखला के पीछे की बड़ी मछलियों का पता लगाने में जुट गई है। उन्होंने कहा कि सभी सीपी/एसएसपी को पहले ही व्यक्तिगत रूप से मैपिंग अभ्यास की निगरानी करने के लिए अधिकृत किया गया है, ताकि अपने-अपने क्षेत्रों में नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ताओं का विवरण तैयार किया जा सके और पूछताछ रिपोर्ट, सार्वजनिक सुझाव, खुफिया इनपुट, सुरक्षित पंजाब हेल्पलाइन से डेटा और एनडीपीएस अधिनियम के तहत आपराधिक जांच में सामने आए बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के आधार पर उन्हें सूचीबद्ध किया जा सके।

डीजीपी ने आगे कहा कि ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) की सफलता से प्रेरणा लेते हुए पंजाब पुलिस अब नशे के खिलाफ अपनी तीव्र लड़ाई के तहत शहरी क्षेत्रों में मोहल्ला समितियां बनाने जा रही है। उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती गांवों के विश्वसनीय और प्रमुख व्यक्तियों से बनी वीडीसी पुलिस की आंख और कान के रूप में काम कर रही हैं और राज्य से नशे को खत्म करने के पंजाब पुलिस के प्रयासों में सहयोग कर रही हैं।

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