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जाने होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य है वर्जित

होलाष्टक : सनातन धर्म कि तो होलाष्टक को बिलकुल भी शुभ नहीं माना गया है। वहीं, इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्यों को करने कि भी पूर्ण रूप से मनाही होती है। Holashtak होली से आठ दिन पहले लगते हैं और फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन पर इसका समापन होता है। होलाष्टक में कौन-कौन.

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होलाष्टक : सनातन धर्म कि तो होलाष्टक को बिलकुल भी शुभ नहीं माना गया है। वहीं, इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्यों को करने कि भी पूर्ण रूप से मनाही होती है। Holashtak होली से आठ दिन पहले लगते हैं और फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन पर इसका समापन होता है। होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं। होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र रहते हैं और नकारात्मकता की अधिकता रहती है। इसलिए व्यक्ति को इस दौरान फूंक-फूंककर किसी कार्य को करना चाहिए।

होलाष्टक में ग्रहों का स्वाभाव रहता उग्र

ज्योतिष शास्त्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार होलाष्टक के 8 दिन बहुत डराने वाले माने जाते हैं, इस दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है, ऐसे में जीवन में कई तरह के बदलाव आते हैं। यही वजह है कि होलाष्टक में शुभ कार्य नही किए जाते हैं। क्योंकि इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। संघर्ष बढ़ जाता है, जिसके कारण आपको असफलता का सामना करना पड़ता है।

16 अनुष्ठानों पर रोक लग जाती है

विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन, नामकरण और उपनयन संस्कार इत्याधि जैसे 16 अनुष्ठानों पर रोक लग जाती है। पारिवारिक कलह, धन हानी और बीमारी इत्यादि का भय बढ़ जाता है। इस अवधि में नया मकान, चल-अचल सम्पत्ति जैसे गहने और गाड़ी की खरीदारी नहीं करनी चाहिए साथ ही इस दौरान मकान का निर्माण भी नहीं शुरू करना चाहिए।

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