विज्ञापन

उत्साह के साथ बरसाना में लट्ठमार होली की शुरुआत, गोपियों ने हुरियारों पर बरसाए लट्ठ

Lathmar Holi Of Barsana : रंगों का त्योहार होली को लेकर देशभर में उत्साह और उमंग का वातावरण बना हुआ है। त्योहार केवल चार ही दिन शेष है। जिसके कारण इस पर को लेकर लोगों ने जोरदार तैयारियां शुरू कर दी है। इस दिन हर कोई गिले-शिकवे मिटाकर होली के रंग में रंगा हुआ नजर.

- विज्ञापन -

Lathmar Holi Of Barsana : रंगों का त्योहार होली को लेकर देशभर में उत्साह और उमंग का वातावरण बना हुआ है। त्योहार केवल चार ही दिन शेष है। जिसके कारण इस पर को लेकर लोगों ने जोरदार तैयारियां शुरू कर दी है। इस दिन हर कोई गिले-शिकवे मिटाकर होली के रंग में रंगा हुआ नजर आएगा। चारों ओर खुशियों के रंग बरसते हुए नजर आएंगे। 13 मार्च को सभी लोग इकट्ठे होकर होलिका दहन करेंगे, जिसके अगले दिन 14 मार्च को हर्षोल्लास के साथ रंग खेला जाएगा। देश में हर जगह अलग-अलग तरीके से होली मनाने का रिवाज है। लेकिन सबसे सबसे मशहूर मथुरा, बरसाना और वृंदावन की होली है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना में गोपियों (महिलाओं) ने हुरियारों पर लट्ठ बरसाए जिसे देखने देश-दुनिया से श्रद्धालु आ रहे हैं। ऐसे में देश-दुनिया के कोने-कोने से आए हजारों-लाखों श्रद्धालु इस होली के माध्यम से राधा और श्रीकृष्ण के पवित्र प्रेम से रूबरू हो रहे हैं।

गुलाल और टेसू के रंगों की बौछार

राधारानी की गोपियों के रूप में गलियों में उतरीं बरसाना की हुरियारिनों ने कृष्ण सखा ग्वाल-बालों के रूप में नंदगांव से होली खेलने आए हुरियारों पर जमकर लट्ठ बरसाए। जिसके कारण बरसाना की रंगीली गली से लेकर समूचे बाजार में गुलाल और टेसू के रंगों की इस प्रकार बौछार हो रही थीं जिससे चहुंओर कोई और रंग नजर ही नहीं आ रहा था। बरसाना में लट्ठमार होली यह महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण भी है। इस होली की शुरुआत एक दिन पूर्व बरसाना के राधारानी मंदिर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से आई उस सखी का लड्डुओं से स्वागत करने के साथ हो जाती है, जो बरसाना वालों को होली खेलने का न्यौता देने पहुंचती है।

फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन नंदगांव के हुरियार पहले प्रिया कुंड पर पहुंचते हैं

फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन नंदगांव के हुरियार पहले बरसाना कस्बे के बाहर स्थित प्रिया कुंड पर पहुंचते हैं। जहां उनका स्वागत ठण्डाई और भिन्न-भिन्न प्रकार की मिठाईयों से किया जाता है। इसके बाद वे सभी हुरियारे बरसाना के गोस्वामी समाज के प्रमुख लोगों के साथ कुर्ता-धोती पहन, कमर में रंगों की पोटली और सिर पर साफा बांध, हाथों में ढाल लिए राधारानी के मंदिर पहुंच होली खेलने की अनुमति लेकर रंगीली गली, फूलगली, सुदामा मार्ग, राधाबाग मार्ग, थाना गली, मुख्य बाजार, बाग मौहल्ला और अन्य चौक-चौहारों पर पहुंच मोर्चा जमा लेते हैं। इसी प्रकार बरसाना की हुरियारिनें भी सोलह श्रृंगार का पूरी तैयारी के साथ, हाथों में लट्ठ लिए मंदिर से होकर नीचे उतरती चली आती हैं।

लाठियों की मार से पूरा बरसाना गूंजा

होली के मीठे-मीठे पदों के बीच लाठियों की मार से पूरा बरसाना गूंजने लगता है। हर तरफ से हुरियारों पर पड़तीं लाठियों की आवाज से तड़ातड़ झूम उठता है। ऐसे में भक्ति संगीत की रागिनी पर अबीर, गुलाल की बरसात से आकाश रंग-बिरंगा हो गया। लोकवाद्यों की तान सुन दर्शक भी झूम उठे। इस होली का रंग इस कदर चढ़ा कि आम और खास व्यक्तियों में कोई फर्क नजर नहीं आ रहा था। जब नंदगांव के हुरियारों ने बरसाना की हुरियारिनों से हार मान ली तब उन्होंने अगले बरस होली खेलने का न्यौता देते हुए कहा, लला फिर खेलन अईयों होरी।

Latest News