नई दिल्ली: पेरिस पैरालंपिक में अजीत सिंह ने अपनी कामयाबी की स्क्रिप्ट अपने दाएं हाथ से भाला फेंक कर लिखी। उनका बायां हाथ नहीं है। पैरा खेलों में यह एथलीट किसी पहचान का मोहताज नहीं है। मगर, क्या आपको पता है जितने अव्वल अजीत खेल में है, उससे कई ज्यादा आगे दोस्ती निभाने में है।
एक हाथ से 65.62 मीटर जमीन नापकर भारत की कराई चांदी
पेरिस पैरालंपिक में अजीत सिंह ने पुरुषों के जैवलिन थ्रो F46 इवेंट में भारत की चांदी कराई है। 3 सितंबर को हुए इस इवेंट में उन्होंने देश की झोली में सिल्वर मेडल डाला है। अजीत सिंह ने ये कामयाबी अपने भाले से 65.62 मीटर की जमीन यानी दूरी नापकर हासिल की है।
अजीत लोगों के लिए मिसाल
उत्तर प्रदेश का एक जिला है इटावा, यहां के एक छोटे गांव से निकलकर दुनियाभर में अपने परिवार और भारत का नाम रौशन करने वाले पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी जिंदगी में अनचाहे हादसे को कोसते रहते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं।
दोस्त की जान बचाते वक्त गंवाया बायां हाथ
5 सितंबर 1993 को जन्मे अजीत साल 2017 तक अन्य लोगों की तरह सामान्य जीवन जी रहे थे। लेकिन 2017 में घटी एक घटना में दोस्त की जान को बचाते हुए वो एक बड़े हादसे का शिकार हो गए। दरअसल, उनका वो हाथ ट्रेन की चपेट में आकर कट गया था। अजीत सिंह के बाएं हाथ का कोहनी से नीचे का हिस्सा नहीं है। हादसे के बाद उनका इलाज हुआ। उनका रिहैब चला और सिर्फ 4 महीने बाद ही साल 2018 में हरियाणा के पंचकूला में हुए पैरा एथलेटिक्स जूनियर नेशनल में उन्होंने हिस्सा लिया। और, यहीं से उनके शानदार सफर की कहानी शुरू हुई।
स्वर्ण पदक जीत पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा
साल 2019 में अजीत सिंह यादव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला। उन्होंने बीजिंग (चीन) में आयोजित 7वीं विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। अजीत यही नहीं रुके, साल 2019 में उन्होंने दुबई में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जहां उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि, वो टोक्यो में मेडल नहीं जीत पाए थे लेकिन पेरिस में उन्होंने शानदार वापसी की।