विकेट लेने पर नहीं,बल्लेबाज को बांधे रखने में होता है फोकस: कुलदीप

कोलंबो : चोट से उबरने के बाद अपनी बदली हुयी गेंदबाजी शैली से विरोधी टीमों के लिये परेशानी का सबब बन चुके चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव का कहना है कि गेंदबाजी के दौरान उनका फोकस बल्लेबाजों को बांधे रखने का होता है।स्टार स्पोर्ट्स से खास बातचीत में कुलदीप ने कहा ‘‘ मै अब विकेट लेने.

कोलंबो : चोट से उबरने के बाद अपनी बदली हुयी गेंदबाजी शैली से विरोधी टीमों के लिये परेशानी का सबब बन चुके चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव का कहना है कि गेंदबाजी के दौरान उनका फोकस बल्लेबाजों को बांधे रखने का होता है।स्टार स्पोर्ट्स से खास बातचीत में कुलदीप ने कहा ‘‘ मै अब विकेट लेने के लिये ज्यादा नहीं सोचता बल्कि हमेशा बल्लेबाज को लॉक करने के बारे में सोचता हूं। सामने खड़े बल्लेबाज को बाजू खोलने का मौका नहीं मिलना चाहिये, इसलिये स्टंप्स पर गेंदबाजी करता हूं। मेरा लक्ष्य अच्छी लेंथ पर गेंदबाजी करना और बल्लेबाज को बांधे रखना होता है।’’

उन्होने बताया कि चोट से वापसी के बाद उन्होंने अपनी गेंदबाजी शैली में कैसे बदलाव किया है। उन्होंने कहा,‘‘ बेशक, जब मैं चोटिल था, तब हमारे फिजियो ने कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे अपने घुटनों पर कोई बोझ नहीं लेना चाहिए। मुझे नहीं पता था कि यह कैसे करना है। दो या तीन महीने बीत गए। मैं धीरे-धीरे ठीक हो रहा था। मैंने अपना रन-अप छोटा करना शुरू किया, और सीधे गेंदबाजी करने के बारे में सोचने लगा। यह मेरे लिए आसान हो गया। मैं अधिक आक्रामक हो गया हूं और मेरी लय बेहतर हो गई है। इसमें लगभग 5-6 महीने लग गए। ’’

चाइनामैन गेंदबाज ने कहा ‘‘ 6-7 महीनों के बाद मुझे अपनी उचित लय मिल गई और अब गेंदबाजी करना आसान हो गया है। इसलिए हम हमेशा लेंथ के बारे में बात करते हैं और एक स्पिनर जितनी अधिक गेंदबाजी करेगा, उसे उतना अधिक अनुभव मिलेगा। इसलिए मैं अब विकेट लेने के बारे में उतना नहीं सोचता। मैं इस बारे में ज्यादा सोचता हूं कि मेरी लंबाई कितनी होनी चाहिए. मैं अच्छी लेंथ की गेंदों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, चाहे वह लेफ्टी हो या राइटी और इसके साथ ही लाइन भी मायने रखती है. जिस तरह से सफेद गेंद का प्रारूप है, आप बल्लेबाज को अपनी बाहों को मुक्त करने के लिए जितनी अधिक जगह देंगे, उसके लिए बल्लेबाजी करना उतना ही आसान होगा।’’

टीम में ऑफ स्पिनरों की भूमिका पर उन्होने कहा ‘‘ मैं खुद को ऑफ स्पिनर नहीं मानता, मैं खुद को एक क्लासिक लेग स्पिनर मानता हूं। एकमात्र बात यह है कि मैं बाएं हाथ से गेंदबाजी करता हूं। मेरे पास विविधताएं हैं और गुगली भी है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि आपको ऑफ स्पिनर रखने की जरूरत है। अगर आपकी टीम का कॉम्बिनेशन अच्छा बैठ रहा है तो आपको 3-4 स्पिनर खिलाने की जरूरत नहीं है. यदि आपके पास दो गुणवत्ता वाले स्पिनर हैं, तो मुझे लगता है कि यह काम करता है।’’ प्रदीप

 

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