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Champions Trophy में भारत की भागीदारी को लेकर ICC धर्मसंकट में….

नई दिल्ली: चैंपियंस ट्रॉफी विवाद के बारे में पाकिस्तान में हाल ही में एक टैलीविजन बहस के दौरान, एक पैनलिस्ट ने तर्क दिया कि 8 टीमों के 50 ओवर के टूर्नामैंट में भारत की जगह श्रीलंका को शामिल किया जाना चाहिए। दूसरे पैनलिस्ट ने इस पर पलटवार करते कहा

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नई दिल्ली: चैंपियंस ट्रॉफी विवाद के बारे में पाकिस्तान में हाल ही में एक टैलीविजन बहस के दौरान, एक पैनलिस्ट ने तर्क दिया कि 8 टीमों के 50 ओवर के टूर्नामैंट में भारत की जगह श्रीलंका को शामिल किया जाना चाहिए। दूसरे पैनलिस्ट ने इस पर पलटवार करते कहा, ‘आप उस खिलाड़ी को नहीं हटा सकते जो बल्ले और गेंद दोनों को थामे रहता है। आप भारत को तब नहीं हटा सकते जब विश्व क्रिकेट उन पर निर्भर करता है, खासकर तब जब प्रसारणकर्ता देश से हो।’ इस बहस ने पाकिस्तान, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के सामने आने वाली दुविधा को अभिव्यक्त किया।

1996 में आखिरी बार वैश्विक आयोजन के बाद से पीसीबी किसी भी कीमत पर चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी करने के लिए उत्सुक है, चाहे भारत इसमें भाग ले या न ले। पीसीबी का लक्ष्य यह दिखाना है कि पाकिस्तान, जिसे अक्सर सुरक्षा मुद्दों के लिए निशाना बनाया जाता है, अपनी असुरक्षित छवि को बदलने के लिए तैयार है। लगभग 3 दशक बाद चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े आयोजन की मेजबानी करना इस धारणा को मजबूत करेगा। भारत और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी टीम पाकिस्तान नहीं जाएगी।?

प्रत्येक विकल्प के टूर्नामैंट और पीसीबी की महत्वाकांक्षाओं दोनों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, अगर पीसीबी पीछे हटता है, तो उसे आईसीसी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें आईसीसी के पर्याप्त वित्तपोषण में कटौती भी शामिल है। चैंपियंस ट्रॉफी को आगे बढ़ाने या स्थगित करने का मतलब होगा कि मेजबानी शुल्क के रूप में संभावित रूप से 65 मिलियन अमरीकी डॉलर का नुक्सान, जो पीसीबी के लिए काफी बड़ी रकम है। यह नुक्सान और भी अधिक परेशान करने वाला होगा, क्योंकि इसने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए तीन निर्धारित स्थलों कराची, रावलपिंडी और लाहौर में बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए गंभीर निवेश किया था।

पाकिस्तान से मिली रिपोर्ट बताती है कि सरकार ने पीसीबी को हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार न करने की सलाह दी है। स्थिति से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘यह विचाराधीन नहीं है। पीसीबी स्वाभाविक रूप से सरकारी मार्गदर्शन का पालन करेगा।’ पीसीबी ने स्पष्टीकरण मांगने के लिए आईसीसी को पत्र लिखा है। भारत के रुख के बारे में आईसीसी-पीसीबी संचार में, सुरक्षा मुद्दों का कोई उल्लेख नहीं है, और पीसीबी ने उस मोर्चे पर कई सवाल उठाए हैं। इस पूरे प्रकरण में आईसीसी की भूमिका पर सवाल उठते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भारत दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को देखते हुए पाकिस्तान की यात्र करने के लिए तैयार नहीं होगा, और इस गतिरोध में आईसीसी की भूमिका एक केंद्रीय बिंदु बनी हुई है।

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