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अपनी आदर्श खिलाड़ी ज्योति से हारने का कोई मलाल नहीं : Aditi Gopichand Swami

हांगझोउः भारतीय तीरंदाज अदिति स्वामी को एशियाई खेलों की कंपाउंड तीरंदाजी सेमीफाइनल स्पर्धा में मंगलवार को यहां ज्योति सुरेखा वेन्नम से हार का सामना करना पड़ा लेकिन 17 साल की इस खिलाड़ी को इसका कोई मलाल नहीं है। अदिति ज्योति को अपना आदर्श मानती है और उन्हें इस बात की खुशी है कि भारत के दो खिलाड़ी महिला एकल में पदक के दावेदार हैं। सत्रह साल की अदिति ने विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में ज्योति को शिकस्त दी थी। इस जीत के साथ ही ज्योति ने दो महीने पहले मिली हार का बदला पूरा किया।

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अदिति अब कांस्य पदक के लिए चुनौती पेश करेंगी जबकि तीसरी बार एशियाई खेलों में भाग ले रही ज्योति पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का सपना पूरा करना चाहेंगी। अदिति ने कहा, कि ‘ वह (ज्योति) मेरी आदर्श हैं। उनके खिलाफ खेलने का मैं लुत्फ उठाती हूं। पिछली बार विश्व चैम्पियनशिप में हम दोनों का सामना हुआ था।’’ इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘उस समय मैं जीती थी और आज वह जीत गयी। इसमें कोई बड़ा मसला नहीं है। क्योंकि हम दोनों में से कोई भी जीते पदक भारत आएगा।’’

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कंपाउंड तीरंदाजी ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं है ऐसे में अदिति एशियाई खेलों में अपने पहले अभियान को कांस्य पदक जीतकर यादगार बनाना चाहती है। अदिति ने कहा, कि ‘यह हमारे लिए काफी खास टूर्नामेंट है। हमारे लिए यह ओलंपिक की तरह है। मैं काफी खुश हूं और हर क्षण का लुत्फ उठा रही हूं।’’

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