नई दिल्ली: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई 15 से 17 अक्तूबर तक अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के 141वें सत्र की मेजबानी करेगी। इसे ओलंपिक खेलों को भारत लाने के प्रयासों से जोड़ कर देखा जा रहा है। आईओसी सत्र, ओलंपिक खेलों पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च बॉडी है। जिसमें ओलंपिक चार्टर को अपनाना या संशोधित करना, आईओसी सदस्यों और पदाधिकारियों का चुनाव करना और ओलंपिक के मेजबान शहर का चुनाव शामिल है।
जैसे क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किए जाने की चर्चा जोरों पर है और अगर इसे 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में शामिल करने का फैसला होता है, तो इसकी घोषणा मुंबई के आईओसी सत्र में ही होगी। इस सत्र के दौरान भारत आने वाली दुनिया की जानी मानी खेल हस्तियों में इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के प्रेसिडेंट थॉमस बाख, फुटबॉल की दुनिया की सबसे बड़ी संस्था, फीफा के प्रेसिडेंट जियानी इन्फैनटिनो, इंटरनेशनल एसोसिएशन आॅफ एथलेटिक्स फेडरेशन के प्रेसिडेंट सेबस्टियन को, मोनाको के राजकुमार अल्बर्ट द्वितीय और पोल वॉल्ट चैंपियन येलेना इसिनबायेवा इस लिस्ट में शामिल हैं।
पिछले वर्ष फरवरी में नीता अंबानी जब बीजिंग में ओलंपिक सत्र की मेजबानी के लिए बिडिंग कर रही थी तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत के पक्ष में इतनी जबर्दस्त वोटिंग होगी। इस वोटिंग में कुल 76 वोटों में से 75 भारत को मिले।आईओसी की पहली भारतीय निजी महिला सदस्य नीता अंबानी ने कहा था, ‘‘खेल हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए आशा और प्रेरणा का प्रतीक रहा है।
हम आज दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक हैं और मैं भारत के युवाओं को ओलंपिक के जादू रुबरु कराने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। आने वाले वर्षों में भारत में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करना हमारा सपना है!’’ इससे पहले 1983 में नई दिल्ली ने आईओसी सत्र के 86वें संस्करण की मेजबानी की थी। ओलंपिक भारत आए, इसकी उम्मीद में खिलाड़यिों की कई पुश्तें बीत गईं, लेकिन ओलंपिक भारत में आयोजित नहीं हो सका।
वजह थी कि ओलंपिक कमेटी में भारत के लिए आवाज उठाने वाला कोई निजी सदस्य नहीं था। छह वर्ष पहले नीता अंबानी आईओसी की पहली भारतीय निजी महिला सदस्य बनीं। उनकी मेहनत रंग लाई और 141वें आईओसी सत्र की मेजबानी भारत को सौंप दी गई। नीता अंबानी भारत के खेल जगत कि तस्वीर बदल रहीं हैं। आज दो करोड़ 15 लाख से अधिक युवा खिलाड़ी उनकी खेल योजनाओं से जुड़े हैं। खेल जगत में की गई उनकी अनोखी पहल का फायदा एशियाई खेलों में देखने को मिला। एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़यिों में से 10 फीसद से अधिक रिलायंस फाउंडेशन से जुड़े हैं।