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Uttarakhand के लाल नीरज जोशी ने सिल्वर मेडल जीतकर मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

Uttarakhand Son Neeraj Joshi

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Uttarakhand Son Neeraj Joshi : उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल में प्रदेश के खिलाड़ियाें ने उम्दा प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। खासकर वूशु प्रतियोगिता में उत्तराखंड के लाल नीरज जोशी ने सिल्वर मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। नीरज जोशी का यह सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन अपनी मेहनत और उत्तराखंड सरकार की खेल नीतियों से प्रेरित होकर उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया।

हल्द्वानी निवासी नीरज जोशी के पिता राजेश बल्लभ जोशी एक किसान हैं और खेती के माध्यम से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद नीरज ने वूशु में अपना करियर बनाने का सपना देखा और पिछले आठ वर्षों से देहरादून में रहकर प्रशिक्षण ले रहे हैं। हालांकि, आर्थिक तंगी और चोटों के कारण उनका खेल करियर कई बार संकट में आ गया। साल 2022 में पैर की हड्डी टूटने के बाद नीरज हताश हो गए थे। खेल से दूर जाने का विचार उनके मन में आने लगा था, लेकिन परिवार और कोच के समर्थन के चलते उन्होंने फिर से वापसी की। वर्ष 2023 में उन्होंने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर अपने खेल में सुधार किया।

हालांकि, गोवा में हुए राष्ट्रीय खेल 2023 में खेल सुविधाओं के अभाव के कारण वह केवल पांचवें स्थान पर रहे, जिससे वह निराश हो गए थे। नीरज जोशी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा खिलाड़यिों के लिए घोषित योजनाओं और प्रोत्साहनों ने उन्हें एक नई ऊर्जा दी। राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं को नगद पुरस्कार और सरकारी नौकरी देने की घोषणा ने खिलाड़ियाें का उत्साह बढ़ाया है।

सरकार की इन नीतियों से प्रेरित होकर नीरज ने 38वें राष्ट्रीय खेल की वूशु स्पर्धा में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। उनका मानना है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं ने प्रदेश के खिलाड़यिों को आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है।
उल्लेखनीय है कि 38वें राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में उत्तराखंड के कई खिलाड़यिों ने पदक जीतकर प्रदेश को गौरवान्वित किया। इनमें नीरज जोशी का नाम प्रमुख है, जिन्होंने वूशु स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर अपनी मेहनत और प्रतिभा का परिचय दिया।

नीरज ने कहा, कि उत्तराखंड सरकार की प्रोत्साहन राशि और सरकारी नौकरी की नीति से प्रदेश के खिलाड़ियाें को एक नई दिशा मिली है। इससे आने वाली पीढ़ी भी खेलों की ओर आकर्षित होगी और उत्तराखंड का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।’’ नीरज जोशी की इस उपलब्धि से न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे उत्तराखंड में खुशी की लहर है। यह जीत प्रदेश के अन्य युवा खिलाड़यिों को भी प्रेरित करेगी और राज्य के खेल क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगी।

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