संयुक्त राष्ट्रः दुनियां के विभिन्न देशों के राष्ट्र व राज्य प्रमुखों ने सोमवार को न्यूयॉर्क में विकास और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षकि बैठक शुरू हो रही है। ये दोनों मुद्दे ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) की प्राथमिक चिंताएं हैं, इनमें से कई देशों को चुनौतियों का सामना करने.
मेलबर्नः अमेरिका के वाशिंगटन राज्य के केलर में रहने वाली पॉलिन स्टेन्सगर का दो मई 2023 में 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया और उनके साथ उनकी भाषा भी खत्म हो गई। स्पोकाने के स्पोक्समैन रिव्यू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पॉलिन इन-हा- उम-चीन भाषा बोलने वाली अंतिम व्यक्ति थीं। वाशिंगटन राज्य क्षेत्र.
नई दिल्ली: ‘धरती गर्म हो रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों के प्रजनन की अवधि में विस्तार होता जा रहा है, ऐसे में मच्छरों का प्रकोप और बढ़ेगा तथा ये उन क्षेत्रों में बढ़ेंगे जहां पहले मच्छरों की संख्या कम हो गई थी।’ यह दावा एक विशेषज्ञ ने किया है। रेकिट बेंकिजर में.
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक आंदोलन बनने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये आज कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला केवल सम्मेलनों की मेज पर नहीं किया जा सकता। इस लड़ाई को हर घर में खाने की मेज पर भी लड़ना होगा। प्रधानमंत्री ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से.
वाशिंगटनः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में लोगों की भागीदारी के साथ-साथ सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई विचार तब जन आंदोलन बन जाता है, जब वह चर्चा की मेज से रात्रि भोज की मेज’ तक पहुंच जाता है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को विश्व नेताओं से कहा कि.
वाशिंगटनः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जलवायु उद्देश्यों हासिल करने के लिए धन उपलब्ध नहीं कराने को लेकर पश्चिम देशों की खिंचाई करते हुए कहा कि भारत स्व-वित्त के जरिए जलवायु परिवर्तन की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत बेहद महत्वाकांक्षी तरीके से.
उचित स्तर पर वातावरण में ग्रीनहाउस गैस सामग्री को स्थिर करने के लिए, और फिर मानव को नुकसान पहुंचाने वाले जलवायु परिवर्तन के संकट को रोकने के लिए, 16 फरवरी 2005 को “क्योटो प्रोटोकॉल” लागू हुआ। मानव इतिहास में यह पहला मौका था जब ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कानूनी रूप में प्रतिबंधित किया गया। चीन.
सिडनीः अफ्रीकी हाथियों की संख्या 1800 के दशक में लगभग 2.6 करोड़ थी, जो आज घटकर 415,000 हो गई है। काफी हद तक यूरोपीय उपनिवेशीकरण, अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण ऐसा हुआ। अब इस प्रजाति को एक और गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका के.