Tag: Sri Harmandir Sahib Ji

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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 29 दिसंबर 2023

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 29 दिसंबर 2023

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 28 दिसंबर 2023

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 28 दिसंबर 2023

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 22 दिसंबर 2023

ਸਲੋਕੁ ਮਃ ੪ ॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਅੰਤਰਿ ਸਾਂਤਿ ਹੈ ਮਨਿ ਤਨਿ ਨਾਮਿ ਸਮਾਇ ॥ ਨਾਮੋ ਚਿਤਵੈ ਨਾਮੁ ਪੜੈ ਨਾਮਿ ਰਹੈ ਲਿਵ ਲਾਇ ॥ ਨਾਮੁ ਪਦਾਰਥੁ ਪਾਇਆ ਚਿੰਤਾ ਗਈ ਬਿਲਾਇ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਮਿਲਿਐ ਨਾਮੁ ਊਪਜੈ ਤਿਸਨਾ ਭੁਖ ਸਭ ਜਾਇ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਮੇ ਰਤਿਆ ਨਾਮੋ ਪਲੈ ਪਾਇ ॥੧॥ ਮਃ ੪ ॥ ਸਤਿਗੁਰ ਪੁਰਖਿ ਜਿ ਮਾਰਿਆ ਭ੍ਰਮਿ ਭ੍ਰਮਿਆ ਘਰੁ.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 18 दिसंबर 2023

बिलावलु महला ५ ॥ साधसंगति कै बासबै कलमल सभि नसना ॥ प्रभ सेती रंगि रातिआ ता ते गरभि न ग्रसना ॥१॥ नामु कहत गोविंद का सूची भई रसना ॥ मन तन निरमल होई है गुर का जपु जपना ॥१॥ रहाउ ॥ हरि रसु चाखत ध्रापिआ मनि रसु लै हसना ॥ बुधि प्रगास प्रगट भई उलटि.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 14 दिसंबर 2023

सोरठि महला १ ॥ जिसु जल निधि कारणि तुम जगि आए सो अंम्रितु गुर पाही जीउ ॥ छोडहु वेसु भेख चतुराई दुबिधा इहु फलु नाही जीउ ॥१॥ मन रे थिरु रहु मतु कत जाही जीउ ॥ बाहरि ढूढत बहुतु दुखु पावहि घरि अंम्रितु घट माही जीउ ॥ रहाउ ॥ अवगुण छोडि गुणा कउ धावहु करि.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 12 दिसंबर 2023

गूजरी महला ५ ॥ कबहू हरि सिउ चीतु न लाइओ ॥ धंधा करत बिहानी अउधहि गुण निधि नामु न गाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ कउडी कउडी जोरत कपटे अनिक जुगति करि धाइओ ॥ बिसरत प्रभ केते दुख गनीअहि महा मोहनी खाइओ ॥१॥ (माया – मोहिया जीव ) कभी भी अपना मन परमात्मा (के चरणों) के साथ.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 11 दिसंबर 2023

धनासरी छंत महला ४ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ हरि जीउ क्रिपा करे ता नामु धिआईऐ जीउ ॥ सतिगुरु मिलै सुभाइ सहजि गुण गाईऐ जीउ ॥ गुणy गाइ विगसै सदा अनदिनु जा आपि साचे भावए ॥ अहंकारु हउमै तजै माइआ सहजि नामि समावए ॥ आपि करता करे सोई आपि देइ त पाईऐ ॥ हरि.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 10 दिसंबर 2023

धनासरी छंत महला ४ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ हरि जीउ क्रिपा करे ता नामु धिआईऐ जीउ ॥ सतिगुरु मिलै सुभाइ सहजि गुण गाईऐ जीउ ॥ गुणy गाइ विगसै सदा अनदिनु जा आपि साचे भावए ॥ अहंकारु हउमै तजै माइआ सहजि नामि समावए ॥ आपि करता करे सोई आपि देइ त पाईऐ ॥ हरि.

हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 9 दिसंबर 2023

रागु धनासरी बाणी भगत कबीर जी की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई ॥ राम नाम सिमरन बिनु बूडते अधिकाई ॥१॥ रहाउ ॥ बनिता सुत देह ग्रेह संपति सुखदाई ॥ इन्ह मै कछु नाहि तेरो काल अवध आई ॥१॥ अजामल गज गनिका पतित करम कीने ॥ तेऊ उतरि पारि परे राम.
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