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सपा से बढ़ते तनाव के बीच यूपी में कांग्रेस प्लान बी की तलाश में; बसपा-रालोद पर नजर

लखनऊः लोकसभा चुनाव को लेकर बने इंडिया गठबंधन के धागे धीरे-धीरे बिखरने लगे हैं। इसमें शामिल सभी दल अपना नफा नुकसान देखने में लग गए हैं। मौजूदा हालत को देखते हुए कांग्रेस विकल्प की तलाश में जुट गई है। वह सपा के साथ दिख तो रही है लेकिन रालोद और बसपा के वोट बैंक के सहारे ही अपने को आगे बढ़ते देखने की चाहत रखती है।राजनीतिक जानकर बताते हैं कि कांग्रेस शुरू से ही इंडिया गठबंधन में बॉस की भूमिका को अदा करने की चाहत रख रही है। इसलिए उसने कर्नाटक चुनाव इंतजार किया। नतीजे पक्ष में आने के बाद ही उसने गठबंधन में अपनी नेतृत्व की भूमिका को देखना शुरू कर दिया। यूपी को लेकर कांग्रेस को चिंता है। यहां पर पार्टी को पता है अकेले दम वह कुछ नहीं कर सकती है। इसी कारण उसने सपा को पकड़ा है। लेकिन सपा उसे मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर आंख दिखा रही है। ऐसे में कांग्रेस ने रालोद के साथ बसपा के लिए भी विकल्प के दरवाजे खोले रखना चाहती हैं।

सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों ही बसपा के साथ गठबंधन करने की कोशिश में हैं। यूपी के कांग्रेस और बसपा दोनों दलों के नेता भी दबे स्वर में चाह रहे हैं कि बसपा से गठबंधन हो जाए। हालांकि मायावती एनडीए और इंडिया में शामिल होने की बात को लेकर कई बार मना कर चुकी। लेकिन कांग्रेस के लोग कहते हैं चुनाव आते आते वह उनको अपने पाले में ले आयेंगे। कांग्रेस और बसपा की तरफ से इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन नेताओं में चर्चाएं खूब हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और सपा मुखिया अखिलेश यादव के बीच मध्य प्रदेश के सीट बंटवारे के बीच राज्य स्तर पर दोनों पार्टयिों के बीच में एक मौन तल्खी बनी हुई है। हालांकि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप इस मामले में बिल्कुल खामोश है और वह बसपा और रालोद के विकल्प पर काम कर रही है।

कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी हमारा संगठन ऐसी स्थिति में नहीं है कि पार्टी अकेले दम पर यूपी में 80 सीटें जीत पाए। इसलिए पार्टी सपा या बसपा के लिए भी ऑप्शन खुला रखना चाहती है जिससे कि अगर सपा दबाव बनाएं तो बसपा के साथ आराम से चुनाव लड़ा जा सके। बसपा के एक बड़े नेता ने बताया कि बहन जी अभी तक किसी भी दल से गठबंधन नहीं करना चाह रही है। लेकिन राजनीति में किसी भी संभावना से इंकार करना मुश्किल है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा, सपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी थी। लेकिन बसपा के लिए अनुभव अच्छा नहीं रहा। अगर आगे कुछ बात बनती है तो मायावती का लीड रोल होगा। वह अपने ही नेतृत्व में इसको संचालित करेंगी। क्योंकि कांग्रेस यूपी में उस स्थिति में नहीं है जहां से वह बसपा पर अपनी शर्ते लागू कर सके।

वरिष्ठ राजनीतिक वेिषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि कांग्रेस, रालोद और बसपा के आपसी गठबंधन की चर्चा तेज है। संभावना से कोई नकार भी नहीं रहा है। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दो ही पार्टी आमने सामने हैं। अगर बसपा और रालोद से इनका गठबंधन होता है तो इसमें कांग्रेस का डबल फायदा हो सकता है। एक तो यह दोनो दल कांग्रेस पर ज्यादा दबाव नहीं बना पाएंगे। कांग्रेस को इसका फायदा हरियाणा और पश्चिमी यूपी में हो सकता है। क्योंकि रालोद का जाटों में प्रभाव पश्चिमी यूपी हरियाणा और राजस्थान में कुछ स्थानों पर है। बसपा में दलित वोट बैंक का एक चंक है जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। इनकी सीटें भी बढ़ सकती है।

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय कहते हैं कि अभी विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के बैनर तले लड़े तो ज्यादा अच्छा रहेगा। हमारी कांग्रेस से राजस्थान में कुछ सीटों से लड़ने की बात चल रही है। जो कि एक दो दिन में सामने आ जाएगी। हमारे सभी नौ विधायक राजस्थान में कांग्रेस के प्रचार में लगे हुए हैं। हमारे लोगों का कहना है कि इंडिया गठबंधन में बसपा के जुड़ने से बहुत फायदा होगा।

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