डॉ. अंबेडकर किसी एक जाति वर्ग के ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के लिए पूजनीय : Sanjay Saraogi

दरभंगा: भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजय सरावगी ने आज कहा कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर किसी एक जाति वर्ग के ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के लिए आदरणीय हैं, पूजनीय हैं। सरावगी ने शुक्रवार को यहां स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज सभागार में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की ओर से.

दरभंगा: भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजय सरावगी ने आज कहा कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर किसी एक जाति वर्ग के ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के लिए आदरणीय हैं, पूजनीय हैं। सरावगी ने शुक्रवार को यहां स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज सभागार में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की ओर से अंबेडकर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित करते हुए कहा कि अंबेडकर दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी थे और भारत के नवनिर्माण में उनकी अतुलनीय भूमिका रही है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंबेडकर की सोच को मूर्त रुप दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंबेडकर शोषित, वंचित पीड़ति और उपेक्षित को मुख्यधारा में लाना चाहते थे और प्रधानमंत्री मोदी यही तो कर रहे हैं।

विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जितनी भी योजनाएं शुरु की हैं वे सभी गरीब-वंचितों के उत्थान के लिए हैं। गरीब उत्थान योजना हो या फिर 80 प्रतिशत लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना या फिर पांच लाख तक के नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सभी की सभी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके उत्थान का ही प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब का जन्म-स्थल मऊ, दीक्षा-भूमि नागपुर, लंदन में जहां पढ़े वह स्थल, महाप्रयाण स्थल दिल्ली और समाधि भूमि मुंबई को पंचतीर्थ के रुप में विकसित किया है। हम सभी को भी इन स्थलों की यात्र अवश्य ही करनी चाहिए। अंबेडकर को किसी एक खास वर्ग के साथ ही जोड़कर देखना उचित नहीं है। उन्होंने वंचितों-पीड़तिों के उत्थान की चिंता कर भारत के नवनिर्माण में योगदान दिया।

इस मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव एवं संगोष्ठी के उद्घाटक डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि भारत रत्न डॉ. आंबेडकर गरीब-गुरबों और शोषित-पीड़तिों की आवाज थे। यदि अंबेडकर ने संविधान का निर्माण न किया होता तो आज राष्ट्र के रुप में हम मूक होते, हमारी आवाज कुंठित होती। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव-1 डॉ. कामेश्वर पासवान ने कहा कि डॉ. अंबेडकर से प्रेरणा कर हमें भी समाज के लिए सप्ताह में एक दिन कुछ समय अवश्य निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर संघर्ष का दूसरा नाम है। दलित का मूल अर्थ समाज के किसी भी जाति वर्ग से आनेवाले दबे-कुचले और पीड़ति-वंचित हैं।

डॉ. पासवान ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई और अपने प्रेरक जीवन-संघर्ष से भी सभी को अवगत कराया कि किस तरह मजदूरी से प्राध्यापक बनने तक का सफर तय किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. राजकिशोर पासवान ने अंबेडकर की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि यदि डॉ. अंबेडकर की तरह समाज के हर तबके में पढ़ाई की भूख जगे तो समाज व राष्ट्र के विकास कोई नहीं रोक सकता। मौके पर विशिष्ट अतिथि डॉ. बच्चा कुमार रजक ने जोरदार शब्दों में कहा की समाज के सभी जाति-वर्गों में कमजोर तबके को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए। यह मात्र वर्ग विशेष के लिए होना बेहतर नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देकर पीछे छूट रहे लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर के समय समाज में व्याप्त कुरीतियां काफी व्यापक थीं बावजूद इसके डॉ. अंबेडकर ने पढ़ाई की और देश के पहले कानून मंत्री बने हमें इसे भी याद रखना चाहिए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजित कुमार सिंह ने कहा कि सनातन में भेदभाव और शोषण नहीं रहा है। इस तथ्य को डॉ. अंबेडकर ने भी माना है। कालांतर में कई विकृतियां आ गई और समाज वर्गों में विभाजित हो गया। अंबेडकर किसी वर्ग नहीं बल्कि सामाजिक व्यवस्था में आई विकृत का विरोध करने वाले रहे हैं। उन्होंने राम-कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि अतीत में समाज में श्रम-विभाजन की व्यवस्था थी जिसमें वैमनस्यता का कहीं कोई स्थान नहीं था। शिक्षा और अर्थ विकास हेतु आवश्यक हैं और इसीलिए डॉ. अंबेडकर ने इस दिशा में पहल की। अंबेडकर व्यक्ति नहीं दर्शन थे। समाज सुधारक थे। समता स्थापित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है जो भारत के नवनिर्माण में उनकी महती भूमिका रही।

 

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