Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

हर सितंबर में गुरु-शिष्य के रिश्ते की मिसाल बनती है गोरक्षपीठ, 26 से शुरू होगा साप्ताहिक आयोजन

लखनऊ : गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के लिए सितंबर का महीना खास होता है। इस महीने पीठ हफ्ते भर अपनी ऋषि और सनातन परंपरा में गुरु-शिष्य के जिस रिश्ते का जिक्र किया जाता है, उसकी जीवंत मिसाल बनती है। दरअसल सितंबर में ही ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पड़ती है। अपने पूज्य गुरुओं और उनके सरोकारों को याद करने, उनसे प्रेरणा लेने, उनको आगे बढ़ाने का संकल्प लेने के लिए करीब आधी सदी से इस आयोजन का सिलसिला जारी है।

कोरोना काल में भी नहीं थमा था ये सिलसिला
इस साल 26 सितंबर से 3 अक्टूबर तक यह आयोजन होगा। उल्लेखनीय है कि वैश्विक महामारी कोरोना में भी सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए यह आयोजन हुआ था। यह इसके अहमियत का प्रमाण है

उद्घाटन और समापन में मौजूद रहेंगे मुख्यमंत्री
आयोजन के उद्घाटन और समापन समारोह में गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे।
इस दौरान श्रीगोरक्षपीठ, गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर की गौरवशाली धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक परंपरा को नई दिशा देने वाले युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही समाज एवं राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओं से संबंधित विभिन्न विषयों पर देश के नामचीन विशेषज्ञ, धर्माचार्य और संत समाज के लोग अपनी राय रखेंगे।

राष्ट्रीय महत्व के इन विषयों पर होगी चर्चा
चर्चा के लिए राष्ट्रीय महत्व के जिन समसामयिक विषयों को चुना गया है उनमें “एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना”, “पर्यावरण रक्षा :भविष्य की सुरक्षा”, “आयुर्वेद : सम्पूर्ण आरोग्यता की गारंटी”, “संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति”, “भारतीय संस्कृति एवं गो-सेवा” और ”महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के कृतित्व और व्यक्तित्व पर पर केंद्रित श्रद्धांजलि सभा।” साथ ही श्रीभागवत पुराण कथा महायज्ञ का भी आयोजन होगा। विषय आधारित आयोजन दिन में और कथा दोपहर बाद होगी।

पीठ की परंपरा के अनुसार सहभोज से होगा समापन
समापन के दिन पीठ की सहभोज परंपरा के क्रम में एक बड़े भंडारे का भी आयोजन होगा। मालूम हो कि ऐसे भंडारे पीठ की सामाजिक समरसता की ही कड़ी होते हैं। जिसमें पूरा समाज बिना भेदभाव के खिचड़ी के चावल दाल की तरह मिल जाता है। संयोग से मकर संक्रांति के दिन आयोजित खिचड़ी का सहभोज ही पीठ का सबसे बड़ा आयोजन भी है।

Exit mobile version