प्रयागराज। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ की तैयारी के बीच सोशल मीडिया पर प्रयागराज का एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ घुड़सवार मेले के स्थान पर जाते हुए दिख रहे हैं। असल में यह वह पुलिस है जो घोड़े पर सवार है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि महाकुंभ में घुड़सवार पुलिस का क्या काम है। महाकुंभ में जल, थल से लेकर आसमान तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है। नदी में नाव तो आसमान में ड्रोन से पहरेदारी होगी। तो वहीं मेले में घुड़सवार सवार पुलिस लगातार निगरानी करेगी। यानी सुरक्षा व्यवस्था जितनी हाइटेक की जा सकती है, उतना ही परंपरागत तरीके से भी व्यवस्था को संभाला जा रहा है।
जानकारों के अनुसार घुड़सवार पुलिस उत्सव धार्मकि आयोजनों या अन्य में भीड़ नियंत्रण का काम करती है। इसमें पुलिस के जवान घोड़े की पीठ पर सवार होकर इलाके या स्थान विशेष पर गस्त करते हैं, साथ ही घोड़े पर सवार पुलिस के जवानों को ऊंचाई का लाभ मिलता है और वो भीड़ नियंत्रण का काम बखूबी करते हैं। घुड़सवार पुलिस को विशेष अभियानों के लिए भी ले जाया जाता है।
महाकुंभ में इसके लिए कई नस्लों के घोड़े मंगवाए जा चुके हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए घुड़सवार पुलिसकर्मी प्रेम बाबू ने आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने बताया, 130 घोड़ों में अब तक 107 घोड़े आ चुके हैं, जिनको विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। घुड़सवार पुलिस भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक नियंत्रण, अखाड़ों के शाही स्नान की व्यवस्था के लिए घाट खाली करना, किसी की तबीयत खराब होने पर उसको अस्पताल पहुंचाना आदि जैसे अहम कार्यों की जिम्मेदारी संभालती है।
उन्होंने बताया कि इस कार्य में घोड़ों की विशेष भूमिका होती है क्योंकि भीड़ में गाड़ियां नहीं जा सकती। वहां घोड़े ही जाएंगे और यह घोड़ों का ही काम है। पब्लिक को भी घुड़सवार पुलिस दूर से दिखाई देती है। इसलिए घुड़सवार पुलिस के दायरे में करीब 200 मीटर आगे और पीछे तक कोई क्राइम नहीं होता है। इनकी भूमिका बहुत अच्छी है जिसके कारण 130 घोड़े और 165 घुड़सवार महाकुंभ मेले में मुख्यालय द्वारा नियुक्त किए गए हैं। यह घोड़े पानी, पुल और जमीन सब जगह पर चलेंगे।
उन्होंने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश से घोड़े आए हुए हैं। 40 घोड़े इंग्लैंड की नस्ल के हैं और पांच आर्मी के घोड़े हैं जो गर्म खून की अमेरिकी नस्ल के हैं। इस नस्ल की खासियत है कि यह अपने सवार का दिमाग पढ़ना जानता है और जो सवार चाहता है, उसी के अनुसार कार्य करता है। इसके अलावा महाराणा प्रताप के घोड़े की नस्ल के काठियावाड़ी घोड़े भी हैं जो बहुत मजबूत होते हैं और इसकी पीठ पर सवार के बैठने के लिए स्वाभाविक ही जगह होती है।
इसके अलावा अन्य नस्ल में अमृतसरी, मारवाड़ी आदि घोड़े हैं। इन घोड़ों की मौजूदगी विभिन्न अखाड़ों की महाकुंभ में पेशवाई पर भी रहती है। सबसे खास बात यह है कि महाकुंभ के लिए इन घोड़ों को खास तरीके से अस्तबल में परीक्षण भी दिया जा रहा है। रोजाना घोड़े को महाकुंभ मेला क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों से परिचय कराने के लिए घुड़सवार पुलिस रोज सुबह और शाम मेला क्षेत्र में गस्त करते हैं। वही घोड़े के स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक भी लगाए गए हैं। मेले में डय़ूटी के दौरान घोड़े की डाइट और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाएगा।