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अयोध्या में रामलाला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर निहंग लगाएंगे लंगर

चंडीगढ़ : साल 1858 के नवंबर महीने में निहंग बाबा फकीर सिंह के नेतृत्व में 25 निहंग सिंहों (सिखों) ने बाबरी मस्जिद ढांचे पर कब्जा कर उसमें हवन किया, साथ में दीवारों पर राम राम लिखा और भगवे ध्वज लगाए । इसके उपरांत उनके खिलाफ बाबरी मस्जिद के मुअज्जिम (मस्जिद अधिकारी) की शिकायत पर अवध के थानेदार द्वारा 30 नवंबर, 1858 को 25 निहंग सिंहों (सिखों) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

यह एक बड़ी और महत्वपूर्ण एतेहासिक घटना है पर और अत्यधिक महत्वपूर्ण तब हो जाती है जब 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट जिन एविडन्स / साक्ष्यों के आधार पर हिंदुओं के पक्ष में निर्णय सुनाता है उसमें इसे भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के तोर पर लेता है, यह कहना है निहंग बाबा फकीर सिंह के कुल से आठवें वंशज जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर का जो की आज चंडीगढ़ में पत्रकरवार्ता को संबोधित कर रहे थे ।

बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि ना सिर्फ उनके पूर्वजों की भी भगवान राम के प्रति सच्ची श्रद्धा व आस्था रही है बल्कि उनकी भी उतनी ही है और इसी कारण उन्होंने कहा कि अब जब 22 जनवरी 2024 को श्री राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की जा रही तो वे पीछे कैसे रह सकते हैं इसलिए उन्होंने निर्णय किया वे अपने निहंग सिंहों के साथ अयोध्या में लंगर लगा देश विदेश से आने वाली संगत की सेवा करेंगे ।

उन्होंने आगे कहा कि निहंग सिंह के नाते जितना सिख धर्म के प्रति वे स्वयं आस्थावना है उतनी ही श्रद्धा उनकी सनातन धर्म में भी है। आज सिख धर्म को हिन्दू धर्म से अलग करके देखने वाले कट्टरपंथियों को जानना चाहिए कि राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिन्दुओं के विरूद्ध नहीं बल्कि सिखों के विरूद्ध हुई थी।

उन्होंने आखिर में कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबंध नहीं है। वह केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। निहंगों तथा सनातन विचारधारा के बीच तालमेल बिठाते समय उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है। क्योंकि एक तरफ उन्होंने अमृतपान किया हुआ है तो दूसरी तरफ गले में रूद्राक्ष की माला भी पहली हुई है। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने आखिर में कहा कि जब भी देश व धर्म को जरूरत पड़ेगी तो वह तथा उनका परिवार कभी पीछे नहीं हटेंगे।

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