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Maha Kumbh में दिखा आस्था का अद्भुत उदाहरण, ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर इंद्र गिरी महाराज पहुंचे प्रयागराज

Maha Kumbh 2025

Maha Kumbh 2025 : संगम नगरी प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ (Maha Kumbh) मेले की तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में हैं। महज कुछ दिनों में ही दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन शुरू होगा, जो न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र बनता है, बल्कि आस्था और विश्वास का भी जीवंत प्रतीक है। संगम तट पर साधु-संत, महात्मा, अखाड़े के सदस्य और श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं। आह्वान अखाड़ा के इंद्र गिरी महाराज (Indra Giri Maharaj) की आस्था भी चर्चा के केंद्र में है।

महाकुंभ (Maha Kumbh) मेला न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह जीवन को नई दिशा देने वाली प्रेरणा का भी स्नेत है। यहां संगम में स्नान करने से पापों से मुक्ति के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु कड़ाके की ठंड, लंबी यात्रा और अन्य कठिनाइयों को सहन करते हुए कुंभ मेला पहुंचते हैं। महाकुंभ (Maha Kumbh) का यह आयोजन हर व्यक्ति को जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता है। इस विशाल आयोजन में आस्था की शक्ति दिखाने वाली एक विशेष तस्वीर सामने आई है। आह्वान अखाड़ा के इंद्र गिरी महाराज (Indra Giri Maharaj) जो शारीरिक रूप से चलने-फिरने में असमर्थ हैं और हमेशा ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहते हैं, वह भी महाकुंभ (Maha Kumbh) मेला में शामिल होने प्रयागराज पहुंचे हैं। मां गंगा और अपने इष्टदेव के प्रति उनका विश्वास इतना प्रबल है कि वह इस कठिन परिस्थिति के बावजूद महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं।

इंद्र गिरि महाराज (Indra Giri Maharaj) ने जब महाकुंभ (Maha Kumbh) को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि सब भगवान गजानंद की कृपा है। वह बताते हैं कि उन्हें यह समस्या अग्नि तपस्या के दौरान शरीर पर पानी गिर जाने से हुई थी। उन्होंने कहा कि वह इस कठिन परिस्थिति के बावजूद कुंभ में भाग लेने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वह यह भी कहते हैं कि हम पूरा कुंभ मेला करने के साथ साथ सभी शाही स्नान भी करके जाएंगे। उन्होंने आगे कामना की कि गुरु महाराज की कृपा सभी पर बनी रहे।

आह्वान अखाड़ा के दत गिरी नागा बाबा ने कहा कि हम पूरे संसार के कल्याण के लिए साधना और तप करते हैं। यह सब गुरु महाराज की कृपा है। उन्होंने बताया कि उनके गुरु महाराज ने उन्हें बहुत तपस्या करने के बाद आशीर्वाद दिया और कहा कि वह तीनों शाही स्नान करेंगे।

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