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25 गायों की डेयरी की स्थापना पर 50 प्रतिशत अनुदान देगी योगी सरकार

प्रदेश में गौवंशीय नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि के लिए योगी सरकार ने ‘नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना’ की लॉन्च
लखनऊः योगी सरकार ने प्रदेश में गौवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि के लिए नन्द बाबा मिशन के तहत नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना का शासनादेश जारी कर दिया है। इससे जहां प्रदेश में उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के गौवंश में सुधार होगा, वहीं दूसरी ओर पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी। योजना के पहले चरण में योगी सरकार लाभार्थी को 25 दुधारू गायों की 35 इकाइयां स्थापित करने के लिए गायों की खरीद से लेकर उनके संरक्षण एवं भरण पोषण जैसे मदों में सब्सिडी देगी। यह सब्सिडी तीन चरणों में दी जाएगी। वहीं, शुरुआती चरण में यह योजना प्रदेश के दस मंडल मुख्यालयों के शहरों क्रमश: अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा और बरेली में संचालित की जाएगी।

तीन चरणों में दिया जाएगा योजना का लाभ
दुग्ध आयुक्त और मिशन निदेशक शशि भूषण लाल सुशील ने बताया कि प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है जबकि प्रदेश में प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता कम है। इसकी मुख्य वजह प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त दुधारू पशुओं की कमी होना है। इसी कमी को पूरा करने एवं उन्नत नस्ल के अधिक से अधिक दुधारू गौवंश की इकाइयों की स्थापना के लिए नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना का शुभारंभ किया गया है। योजना के तहत दुधारू गायों में साहीवाल, गिर, थारपारकर एवं गंगातीरी प्रजाति की गायों को ही शामिल किया गया है। योगी सरकार ने योजना के तहत 25 दुधारू गायों की एक इकाई स्थापित करने में 62, 50,000 रुपये के खर्च का आंकलन किया है। ऐसे में, योगी सरकार लाभार्थी को कुल व्यय पर 50 प्रतिशत अनुदान यानी अधिकतम 31,25,000 रुपये देगी। योगी सरकार इस योजना का लाभ तीन चरणों में देगी। पहले चरण में इकाई के निर्माण पर परियोजना लागत का 25 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में 25 दुधारू गायों की खरीद, उनके 3 वर्ष के बीमा और यातायात पर परियोजना लागत का 12.5 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। जबकि तीसरे चरण में परियोजना लागत की शेष 12.5 प्रतिशत राशि का अनुदान दिया जाएगा।

अधिक आवेदन आने पर ई-लॉटरी से लाभार्थी का किया जाएगा चयन
योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास कम से कम 3 वर्षों का गौपालन का अनुभव होना चाहिये। वहीं, गौवंशों की ईयर टैंगिंग होना अनिवार्य है। इसके साथ ही इकाई की स्थापना के लिए 0.5 एकड़ भूमि होना आवश्यक है। साथ ही, लाभार्थी के पास लगभग 1.5 एकड़ भूमि हरित चारा के लिए होना चाहिये। यह जमीन उसकी खुद की (पैतृक) हो सकती है या फिर उसने उसे 7 वर्षों के लिए लीज पर लिया हो। इस योजना का लाभ पूर्व में संचालित कामधेनु, मिनी कामधेनु एवं माइक्रो कामधेनु योजना के लाभार्थी नहीं उठा सकेंगे। लाभार्थी का चयन ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन के माध्यम से किया जाएगा। वहीं, आवेदन की संख्या अधिक होने पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा ई-लॉटरी के जरिये चयन किया जाएगा।

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