मानवाधिकार भारत की आत्मा में बसा है, इसे लेकर गंभीर हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : Tarun Chugh

अमृतसर: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने कहा कि मानवाधिकार भारतीय संस्कृति की आत्मा है। हमारे देश में मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पुरानी प्राचीन काल से चली आ रही है। इंस्टीट्यूट फॉर स्किल डेवलपमेंट अमृतसर में विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तरुण चुघ ने याद.

अमृतसर: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने कहा कि मानवाधिकार भारतीय संस्कृति की आत्मा है। हमारे देश में मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पुरानी प्राचीन काल से चली आ रही है। इंस्टीट्यूट फॉर स्किल डेवलपमेंट अमृतसर में विश्व मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तरुण चुघ ने याद दिलाया कि भारत में ऋग्वेद में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की ऋचा यह बताती है कि भारत में प्राचीन काल से ही मानवाधिकार की बात है। हमारे यहां संस्कार दिया जाता है कि मानव ही नहीं जीव जंतु और पेड़ पौधे तक की सुरक्षा और संवर्धन किया जाए।

भारतीय संस्कृति के में सदियों से बीमार, लाचार, वृद्ध माता-पिता की देखभाल, अतिथिदेवो भवः आदि हमारी सभ्यता के हिस्से रहे हैं जो अन्य देशों में कम ही पाया जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता, लिंग, जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा, या किसी अन्य के कारण भेदभाव किए बिना, ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी के लिए प्रकृति प्रदत्त हैं।

उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि हाल के कुछ वर्षों में भारत में मानवधिकार को लेकर कुछ लोग अनावश्यक टिप्पणी कर देश की छवि पर आंच पहुंचाने की कोशिश करते हैं। चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अंतिम व्यक्ति तक सरकार की नजर और विकास की किरण पहुंचाई गई है। आजादी के बाद दशकों तक तो यह स्थिति रही कि एक बहुत बड़ी आबादी को अपने सामान्य अधिकार की भी जानकारी नहीं थी। पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर सरकार चली तो लोगों को न सिर्फ अपने अधिकार, बल्कि विकास में भी भागीदारी मिली।

12 अक्टूबर 2019 को 26वें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्थापना दिवस पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा था कि भारत के संदर्भ में मानवाधिकार का पैमाना पश्चिमी देश नहीं हो सकते हैं। उन्होंने सरकार द्वारा नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के प्रयासों जैसे औरतों के लिए शौचालय, खाना पकाने का सुरक्षित तरीका गैस चूल्हा आदि को मानवाधिकार का मुद्दा मानना की वकालत की। इसी तरह 28वें स्थापना दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। चयनित तरीके से आचरण करते हुए कुछ लोग मानव अधिकारों के हनन के नाम पर देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं और ऐसे लोगों से देश को सतर्क रहना है।

चुघ ने कहा कि मानवाधिकार की व्याख्या अपने हितों या अपने तरीके से नहीं की जा सकती है। मानवाधिकार शाश्वत मूल्य हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ संगठन मानवाधिकार के नाम पर निजी स्वार्थ के लिए देश की छवि खराब करने में लगे रहते हैं। चुघ ने कहा कि हमें अधिकार मिले हैं, उसकी रक्षा हर हाल में होनी चाहिए, लेकिन हमें अपने कर्तव्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए। देश के प्रति, प्रदेश के प्रति, समाज के प्रति जो हमारे कर्तव्य हैं, उसका पालन ईमानदारी से करना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित बच्चों एवं अन्य लोगों को मानवाधिकार की रक्षा और अपने कर्तव्यों के पालन को लेकर शपथ भी दिलाई गई। कार्यक्रम में प्रिंसिपल मोनिका हांडा, सपना भगत, गुप्रीत कौर , मानसी, दीपिका, सागर , विजय कुमार, कर्तिक महाजन, रोशली एवम ज्योति सहित भारी संख्या में सभी ने मानव अधिकारों कर्तव्यों व पर्यवारण की रक्षा की शपथ ली।

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