जानिए इस साल कब आ रहा है होली का त्यौहार और इसका महत्व

होली का त्यौहार हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन हर कोई एक दूसरे को रंग लगाता है। होली हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। इस बार बहुत लोग कोई इस दुविधा में है की इस बार रंगों का त्यौहार होली 8 मार्च को आ रहा.

होली का त्यौहार हर साल बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन हर कोई एक दूसरे को रंग लगाता है। होली हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाई जाती है। इस बार बहुत लोग कोई इस दुविधा में है की इस बार रंगों का त्यौहार होली 8 मार्च को आ रहा है या 7 मार्च को। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसका सबको बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार रहता है। तो आइए जानते है कब है होली का पर्व:

होली 2023 की सही तारीख
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका ने भक्त प्रहृलाद को आग में जलाकर मारने का प्रयास किया था, इसलिए हर साल होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को शाम के समय में करते हैं. उसके अगले दिन सुबह रंगों की होली खेली जाती है. इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को है.

इस साल होली का त्योहार 08 मार्च बुधवार को है. इस दिन शूल योग, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शाम 07:42 बजे तक है. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के राजा सूर्य देव हैं.

कब है होलिका दहन 2023?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च को शाम 04:17 बजे से शुरू हो जाएगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 07 मार्च को शाम 06:09 बजे होगा. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को है, इसलिए होलिका दहन 07 मार्च को है. इस दिन होलिका दहन का मुहूर्त शाम 06:24 बजे से लेकर 08:51 बजे तक रहेगा.

भद्रा रहित है होलिका दहन
कई बार भद्रा के कारण होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर समस्या पैदा हो जाती है. लेकिन इस साल भद्रा फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में लग रहा है लेकिन होलिका दहन के सुबह ही खत्म हो जा रही है. 06 मार्च को भद्रा शाम 04:17 बजे से 07 मार्च को प्रात: 05:15 बजे तक रहेगी. भद्रा का वास धरती पर रहेगा.

होली का महत्व
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर शुभकामनाएं और बधाई देते हैं. होली रिश्तों की कड़वाहट को दूर करके उनमें मिठास घोलने का काम करती है. हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने भक्त प्रह्लाद को मारने के हर संभव प्रयास किए, लेकिन श्रीहरि की कृपा से वे बच गए.

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