भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने हृदय रोग और डिप्रैशन के बीच संबंधों का पता लगाया

भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने डिप्रैशन और हृदय रोग (सीवीडी) की स्थितियों के बीच लंबे समय से अनुमानित संबंध को उजागर किया है।

नई दिल्ली : भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने डिप्रैशन और हृदय रोग (सीवीडी) की स्थितियों के बीच लंबे समय से अनुमानित संबंध को उजागर किया है। शोध में कहा गया है कि डिप्रैशन और हृदय रोग आंशिक रूप से एक ही जीन मॉड्यूल से विकसित होते हैं। 1990 के दशक से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि दोनों बीमारियां किसी तरह संबंधित हैं। दुनियाभर में लगभग 280 मिलियन लोग डिप्रैशन से पीड़ित हैं, जबकि, 620 मिलियन लोग सीवीडी से पीड़ित हैं।

फिनलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दोनों के बीच नैदानिक संबंध को जानने के लिए रक्त जीन विश्लेषण का उपयोग किया। फ्रंटियर्स इन साइकाइट्री जर्नल में प्रकाशित उनके परिणाम से पता चला कि डिप्रैशन और सीवीडी में कम से कम एक कार्यात्मक जीन मॉड्यूल समान है। अध्ययन डिप्रैशन और सीवीडी के लिए नए मार्करों की पहचान करने के साथ-साथ दोनों बीमारियों को लक्षित करने वाली दवाएं ढूंढने में मदद कर सकता है।

जीन मॉड्यूल को विभिन्न स्थितियों में समान अभिव्यक्ति पैटर्न वाले जीन के समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है और इसलिए कार्यात्मक रूप से संबंधित होने की संभावना है। फिनलैंड में टाम्परे विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता, लेखिका बिनिशा एच मिश्रा ने कहा, ‘हमने डिप्रैशन और सीवीडी से पीड़ित लोगों के रक्त में जीन अभिव्यक्ति प्रोफाइल को देखा और एक जीन मॉड्यूल में 256 जीन पाए जिनकी अभिव्यक्ति औसत से अधिक या कम स्तर पर लोगों को दोनों बीमारियों के अधिक जोखिम में डालती है।’

टीम ने 34 से 49 वर्ष के बीच के 899 महिलाओं और पुरुषों के रक्त में जीन अभिव्यक्ति डाटा का अध्ययन किया। साझा मॉड्यूल में अन्य जीन अल्जाइमर पार्किंसंस और हंटिंगटन रोग जैसे मस्तिष्क रोग शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘हम इस मॉड्यूल में जीन का उपयोग डिप्रैशन और हृदय रोग के लिए बायोमार्कर के रूप में कर सकते हैं। अंतत: ये बायोमार्कर दोनों बीमारियों के लिए दोहरे उद्देश्य वाली निवारक रणनीतियों के विकास की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।’

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