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नए कोयला ब्लॉकों की नीलामी के लिए 13 January तक जमा की जा सकती हैं निविदाएं

नई दिल्ली: केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने 141 कोयला खदानों के लिए वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी का प्रयास शुरू किया है। मौजूदा ट्रेंच के तहत कोयला खदानों को निवेशक समुदाय की विभिन्न मांगों को देखते हुए चुना गया है। उद्योग के फीडबैक के आधार पर कुछ कोयला खदानों का आकार बदला गया है, ताकि उनका.

नई दिल्ली: केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने 141 कोयला खदानों के लिए वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी का प्रयास शुरू किया है। मौजूदा ट्रेंच के तहत कोयला खदानों को निवेशक समुदाय की विभिन्न मांगों को देखते हुए चुना गया है। उद्योग के फीडबैक के आधार पर कुछ कोयला खदानों का आकार बदला गया है, ताकि उनका आकर्षण बढ़ाया जा सके।

कोयला मंत्रालय के मुताबिक 13 जनवरी, दोपहर 12 बजे तक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन और उसी दिन अपराह्न 16 बजे तक भौतिक रूप से कोयला खदानों के लिए निविदा जमा कराई जा सकती है। ये निविदाएं सोमवार, 16 जनवरी को निविदा दाताओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सुबह 10 बजे खोली जाएंगी।

कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 तक 1.31 बिलियन टन कोयले और वित्त वर्ष 2030 में 1.5 बीटी कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि वह कोल इंडिया लिमिटेड और एससीसीएल के लिए अतिरिक्त 19 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाएं शुरू करेगा। इसकी क्षमता 330 मिलियन टन (एमटी) होगी और इन परियोजनाओं को वित्त वर्ष 2026-27 तक कार्यान्वित किया जाएगा।

मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को समाप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार की है। इसके लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है। इससे भविष्य में सुचारू और पर्यावरण-अनुकूल कोयले की निकासी सुनिश्चित की जा सकेगी। कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 तक 1.31 बिलियन टन कोयले और वित्त वर्ष 2030 में 1.5 बीटी कोयले का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस संदर्भ में, लागत प्रभावी, तेज और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से कोयला परिवहन महत्वपूर्ण है।

वहीं कोकिंग कोल उत्पादन को और बढ़ाने के लिए, कोयला मंत्रालय ने चार कोकिंग कोल ब्लॉकों की पहचान की है। इसके साथ ही सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) आने वाले महीनों में 4 से 6 नए कोकिंग कोल ब्लॉकों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जीआर) को भी अंतिम रूप प्रदान करेगा। घरेलू कच्चे कोकिंग कोयले की आपूर्ति को और बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के लिए बाद के दौर में की जाने वाली नीलामी में इन ब्लॉकों की पेशकश की जा सकती है।

कोयला मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत किए जा रहे इन उपायों से घरेलू कच्चे कोकिंग कोल का उत्पादन 2030 तक 140 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच जाने की संभावना है। कोयला मंत्रालय ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने मौजूदा खानों से कच्चे कोकिंग कोल के उत्पादन को 26 मीट्रिक टन तक बढ़ाने की योजना बनाई है। वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 22 मीट्रिक टन की पीक रेट क्षमता (पीआरसी) के साथ नौ नए खदानों की पहचान की है। इसके अलावा, सीआईएल ने बंद पड़ी कुल 30 खदानों में से आठ बंद पड़े कोकिंग कोल खदानों की पेशकश की है, जो 2 एमटी पीआरसी के साथ निजी क्षेत्र को राजस्व साझा करने के एक अभिनव मॉडल पर आधारित है।

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