आदतें आपके बच्चे के जीवन के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जिसमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, उत्पादकता, रिश्ते और आत्मसम्मान शामिल हैं। नई, उपयोगी आदतें बनाना और उन आदतों को बदलना हमेशा संभव है जो अब आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं। क्या आप जानते हैं कि जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो आपका ध्यान सबसे पहले उसके शारीरिक पोस्चर पर जाता है? शरीर के पोस्चर का प्रभाव इतना अधिक है कि इससे किसी भी बच्चे का व्यक्तित्व जाना जा सकता है।
सही पोस्चर होना न केवल बच्चे के शारीरिक पहलू को परिभाषित करता है, बल्कियह मानसिक व सामाजिक पहलू के आधार पर उसके व्यक्तित्व के बारे में भी बताता है। चूंकि सीधा खड़ा होना वह मूलभूत तत्व है जो हमें मानव प्रजाति के रूप में आकार देता है, इसे किसी भी स्थायी प्रशिक्षण प्रणाली के लिए दक्षता का आधार बिंदु होना चाहिए। आपका आसन एक छाया की तरह आपका पीछा करता है, और आप जो कुछ भी करते हैं उसमें इसका प्रभाव पड़ता है-आप कैसे चलते हैं, खड़े होते हैं, सांस लेते हैं और ट्रेन करते हैं अधिकांश बच्चों को ढीले या झुककर या झुकी हुई स्थिति में खड़े होने की आदत होती है, जो अपने को संभालने का गलत तरीका है।
क्या आपने आज तक कोई मॉडल, खिलाड़ी या अभिनेता देखा है, जो ढीला या झुककर खड़ा होता हो? मेरा दावा है ऐसा कोई नहीं होगा। जरा किसी सैनिक को देखें! सैनिक का पोस्चर सही होता है, इसीलिए वह सक्रिय, स्मार्ट और आकर्षक लगता है। पोस्चर सबसे कम आंका जाने वाला पहलू है, जो बच्चे के पूर्ण स्वास्थ्य और कष्ट-रहित जीवन जीने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
आदत सही पोस्चर क्या होता है?
– पोस्चर वह मुद्रा है, जिसमें हमारा शरीर खड़ा होता, बैठता या लेटता है। सही पोस्चर होने पर शरीर अपनी उचित तालमेल वाली स्वाभाविक स्थिति में रहता है। इसका अर्थ है कि कंधे पीछे खिंचे रहें, पीठ सीधी और गरदन ऊंची रहे।
फायदे
– बच्चा स्मार्ट, सक्रिय और आत्म-विश्वासपूर्ण दिखाई देता है।
– बच्चे का शरीर लचीला, चपल और स्वस्थ रहता है।
– शोध के अनुसार, सही मुद्रा में सोने से बच्चे का कद बढ़ने में मदद मिलती है।
– दीर्घावधि में बच्चे के शरीर की हड्डियां व जोड़ों में चपलता रहनी चाहिए।
– बच्चे को भावी मुद्रा संबंधी, जैसे-पीठ या गरदन में दर्द, ग्रीवा आदि से संबंधित समस्याओं से बचाएं। शारीरिक मुद्रा सही रखना।
– अभिभावक अपना पोस्चर सही रखें, जिससे बच्चा आपको देखकर सीख सके।
– बच्चे की शारीरिक मुद्रा को सही रखने का सबसे अच्छा तरीका दीवार के साथ सिर और पीठ टिकाकर खड़े होना है। बच्चे से नहाने के फौरन बाद इसकी जांच करने के लिए कहें, जिससे यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन सके।
– उसे केवल अपने लिए ही नहीं, बल्किअपने भाई-बहन या अन्य पारिवारिक सदस्यों के लिए भी जवाबदेह बनाएं, जहां वह खड़े होने संबंधी युक्तियां बताए और उन्हें अपनी शारीरिक मुद्रा सही रखने में मार्गदर्शन करे।
– बच्चे को उसके पसंदीदा क्रिकेटर, अदाकार या सैनिक के पोस्चर का पालन करने को कहें।