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राजकुमारी वेनचेंग का तिब्बत में प्रवेश : जातीय एकता का चलता-फिरता महाकाव्य

“दुनिया में कोई जगह दूर नहीं है और संसार एक गृहनगर है।” वर्ष 2013 से, हर साल ल्हासा नदी के दक्षिणी तट पर राजकुमारी वेनचेंग थिएटर में बड़े पैमाने पर लाइव-एक्शन ड्रामा “राजकुमारी वेनचेंग” दर्शकों की एक निरंतर धारा को आकर्षित करता है। लोगों ने राजकुमारी वेनचेंग के पदचिह्न पर चलते हुए जातीय एकता के.

“दुनिया में कोई जगह दूर नहीं है और संसार एक गृहनगर है।” वर्ष 2013 से, हर साल ल्हासा नदी के दक्षिणी तट पर राजकुमारी वेनचेंग थिएटर में बड़े पैमाने पर लाइव-एक्शन ड्रामा “राजकुमारी वेनचेंग” दर्शकों की एक निरंतर धारा को आकर्षित करता है। लोगों ने राजकुमारी वेनचेंग के पदचिह्न पर चलते हुए जातीय एकता के चलते-फिरते महाकाव्य को सुना।

पुराने काल के थांग राजवंश के सम्राट ताइज़ोंग ली शिमिन के शासनकाल में, थांग राजवंश की शक्ति दिन-ब-दिन फल-फूल रही थी। आधुनिक तिब्बत के पूर्ववर्ती यानी कि तुबो राजवंश ने थांग राजवंश के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किया था।

थांग झेंगुआन के 14वें वर्ष (वर्ष 640 एडी) में तुबो शासन के राजा सोंगत्सेन गंपो ने मंत्रियों को थांग राजवंश में अपनी शादी का प्रस्ताव रखने के लिए भेजा था। थांग राजवंश के चित्रकार यान लिबेन की एक प्रसिद्ध पेंटिंग में उस दृश्य को दर्शाया गया है, जहां ली शिमिन सोंगत्सेन गंपो द्वारा शादी के लिए भेजे गए दूत से सूचना प्राप्त करता है। इतिहास में ऐसी कहानियां भी हैं कि इस दूत ने कई बड़ी समस्याओं को कुशलता से सुलझाया था। तुबो के ईमानदारी से शादी के प्रस्ताव के कारण ली शिमिन ने सोंगत्सेन गंपो से थांग राजपरिवार के एक सदस्य की बेटी राजकुमारी वेनचेंग से शादी करने का वादा किया।

तुबो थांग साम्राज्य की राजधानी छांगआन से हजारों मील दूर है। राजकुमारी वेनचेंग जानती थी कि जब उसने इस बार तुबो में सोंगत्सेन गंपो से शादी की, तो वह अपने गृहनगर कभी नहीं लौट पाएगी। लेकिन हान और तिब्बत दोनों जातियों के बीच पीढ़ी-दर-पीढ़ी दोस्ती के लिए, वह दृढ़ता से तुबो की राह पर चल पड़ी।
राजकुमारी वेनचेंग ने खगोल विज्ञान, कैलेंडर, अंकगणित और दवा पद्धति आदि क्षेत्रों से संबंधित किताबें अपने साथ लाई थीं। तिब्बती ग्रंथों के अनुसार जब राजकुमारी वेनचेंग ने तिब्बत में प्रवेश किया, तब इन के साथ लाए गए सामानों में 408 रोगों के उपचार के लिए चिकित्सा दवाइयां, 100 चिकित्सा पद्धतियां और चिकित्सा से सम्बंधित आदि पुस्तकें भी शामिल थीं। राजकुमारी वेनचेंग “हान प्रिंसेस मेडिकल डिक्शनरी” को भी अपने साथ तुबो लाईं। तिब्बती चिकित्सकों द्वारा अनुवाद के बाद ये पुस्तकें तिब्बती चिकित्सा में मूल दस्तावेज बन गयीं। इसके अलावा राजकुमारी वेनचेंग की शादी की टीम में बडी संख्या में शिल्पकार शामिल थे। उधर तुबो में रेशमकीट प्रजनन, वाइनमेकिंग, मिलिंग, पेपरमेकिंग, स्याही समेत विभिन्न कौशल और बुनाई, शराब बनाने व अनाज प्रसंस्करण के विनिर्माण तकनीकों का भी थांग राजवंश की तरफ से आयात किया गया था। इनका तिब्बत के धार्मिक और सांस्कृतिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

राजकुमारी वेनचेंग ने तिब्बत में प्रवेश किया, तो चीन-तिब्बत दोनों जातियों के बीच एकता और मित्रता का नया दौर शुरू हुआ और लोक विवाह, सामाजिक आदान-प्रदान व व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे वृद्धि हुई। स्थानीय तिब्बती लोग राजकुमारी वेनचेंग को च्यामुसा बुलाते थे, तिब्बती भाषा में “च्या” का अर्थ हान जाति , “मु” का अर्थ महिला और “सा” का अर्थ भगवान है। जोखंग मंदिर के सामने थांग-तुबो गठबंधन का स्मारक थांग और तुबो के बीच “रिश्तेदारों के प्यार को नवीनीकृत करने और पड़ोसियों के बीच दोस्ती की पुष्टि करने” की शुभकामनाओं का प्रतीक है और हजारों वर्षों से हान-तिब्बत एकता का ऐतिहासिक गवाह बना है। राजकुमारी वेनचेंग की मूर्ति अभी भी पोटाला महल में प्रतिष्ठित है और वहां के भित्ति चित्रों में तिब्बत में प्रवेश के लिये उनके मुश्किल अनुभवों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया हैं। नुच्यांग नदी के तट पर, राजकुमारी वेनचेंग स्क्वायर पर उभरी हुई मूर्तियां इसका ज्वलंत उदाहरण है। लोग स्थानीय महिलाओं को बुनाई और कढ़ाई सिखाने वाली राजकुमारी वेनचेंग की मार्मिक कहानी भी बताते हैं। छिंगहाई प्रांत का युशु शहर जहां से राजकुमारी वेनचेंग गुजरी, वहां रियू पर्वत और वापस बहने वाली नदी के बारे में किंवदंतियां पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं।

इतिहास एक दर्पण की तरह होता है, जो वर्तमान को दर्शाता है। तिब्बत में राजकुमारी वेनचेंग द्वारा बोए गए जाति की एकता के बीज ने जड़ें जमा ली हैं और वे अंकुरित हो गए हैं। चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, चीन के सभी जातीय समूहों के लोगों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के प्रतिनिधियों ने एक सड़क निर्माण टीम का गठन किया और वर्ष 1954 में 4360 किलोमीटर की कुल लंबाई के साथ सिछुआन-तिब्बत और छिंगहाई-तिब्बत राजमार्गों का निर्माण किया। इससे तिब्बत में राजमार्ग न होने का इतिहास समाप्त हो गया और तिब्बत में परिवहन का एक नया युग शुरू हुआ। तब से, चीन की मुख्य भूमि से निर्माताओं के जत्थे तिब्बत आए और छिंगहाई-तिब्बत पठार में जड़ें जमा लीं। तिब्बत की सहायता करने वाले कर्मचारियों की पीढ़ियों ने इस पठार पर स्थानीय तिब्बती हमवतन लोगों के साथ खुशियां व दुख साझा किए, एक-दूसरे की मदद की और गहरी दोस्ती की।

(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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