कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर किया है। हालांकि चीन की अर्थव्यवस्था सबसे बेहतर ढंग से आगे बढ़ रही है। बावजूद इसके कुछ चुनौतियों का सामना चीन को भी करना पड़ रहा है। इस दौरान चीन बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। जबकि भारत सहित लगभग सभी देश इससे परेशान हैं। युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा है। बताया जाता है कि 24 साल से कम उम्र के युवाओं को नौकरी पाने में बहुत मुश्किल हो रही है।
चीन के संबंधित विभाग इस चुनौती से वाकिफ हैं, ऐसे में युवाओं को रोजगार दिलाने में प्राथमिकता दी जा रही है। क्योंकि बड़ी संख्या में कॉलेज से ग्रेजुएट होने वालों को उनकी पसंद का जॉब नहीं मिल रहा। इस बीच चीन के मानव संसाधन और सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर एक नीति जारी है। जिसका उद्देश्य विभिन्न कंपनियों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे कॉलेज से हाल में स्नातक हुए युवाओं और पंजीकृत बेरोजगार युवाओं को काम पर रखें। इस नई नीति के मुताबिक पिछले दो वर्षों में स्नातक करने वाले बेरोजगार कॉलेज छात्रों या 16 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं को नौकरी देने पर कंपनियों को भत्ता दिया जाएगा। बताया जाता है कि दिसंबर महीने तक ऐसा करने वाली कंपनियों को प्रति व्यक्ति 1,500 युआन का भत्ता दिया जाएगा। इसके साथ ही नियोक्ता को भत्ते के लिए आवेदन करने से कम से कम एक महीने पहले नियुक्त किए गए कर्मचारियों को पेंशन और मुआवजा बीमा आदि का देना होगा।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को हल करने के लिए सरकार त्वरित कदम उठा रही है। उक्त नीति भी इसी दिशा में एक कदम है। चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक बेरोजगारी दर मई महीने में बढ़कर 20.8 प्रतिशत हो गई। जो कि अप्रैल महीने में 20.4 प्रतिशत थी, इसमें साल-दर-साल 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार मई माह तक देश में 16 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 9 करोड़ 60 लाख युवा थे। जिनमें से 3 करोड़ 30 लाख शिक्षा पूरी कर जॉब मार्केट में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन लगभग 60 लाख युवाओं को कोई काम नहीं मिल पाया है।
इसे देखते हुए चीन सरकार द्वारा युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)