रामपुर बुशहरः मनरेगा व निर्माण मज़दूर यूनियन (संबधित सीटू) ने मनरेगा मजदूरों की बोर्ड की सदस्यता रद्द करने और 3 सालों से लंबित पड़े लाभों को लेकर श्रमिक कल्याण बोर्ड कार्यालय रामपुर का घेराव किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू जिला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, यूनियन जिला महासचिव अमित ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले मनरेगा मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से बाहर करने का फैसला 12 दिसम्बर 2022 को लिया।
बोर्ड में मजदूरो का पंजीकरण और नवीनीकरण का काम पिछले 9 महीनों से बंद पड़ा है। बोर्ड से मिलने वाली सहायता राशी पिछले 3 सालों से लंबित है। जिस कारण हिमाचल प्रदेश के कुल 4 लाख 48 हजार मजदूर प्रभावित हो रहे हैं। सीटू से सम्बन्धित निर्माण एवंम मनरेगा मजदूर यूनियन हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार को इसके लिए जिम्मेवार मानती हैं, क्योंकि उसी ने इस सारे काम को रोका है। सरकार के मजदूर विरोधी फैसले के कारण मजदूरों को बच्चों की शिक्षा के लिए मिलने वाली सहायता राशि, विवाह, चिकित्सा, मृत्यु व अन्य सहायता पूरी तरह बंद है। यह वास्तव में भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कानून 1996 की उल्लंघन है।