करवाचौथ एक ऐसा पर्व है जो पति- पत्नी के रिश्ते में अथाह प्यार व विश्वास भर देता है जिसमें दिनभर भूखे रहकर उपवास करने तथा शाम को पति के हाथों जल पीकर उपवास खोलने से लेकर छननी से चांद देखने, सजने-संवरने के पीछे तमाम आस्थाओं और भावनाओं का मकसद भी रहता है। ऐसे अवसर दाम्पत्य से जुडे मन के गहरे तार और एक-दूसरे के लिए दिल में गहरे प्रेम को भी अलग शब्दों में परिभाषित कर जाते हैं। कहीं पतियों के मन में भी इस बात का अहसास रहता है कि हमारी लंबी उम्र और सफलता के लिए पत्नियों ने व्रत रखा है। आइए आज करवाचौथ पर जानते है पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में:
जानिए शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। करवा चौथ तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर रात्रि 9:54 से प्रारंभ हो रहा है। उदयातिथि के मुताबिक 1 नवंबर को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:55 से शुरू होकर रात्रि 9:21 तक है लेकिन पूजा का मुहूर्त रात्रि 7:24 तक ही है। इतना ही नहीं ज्योतिष गणना के मुताबिक रात्रि 5:55 से लेकर 7:24 तक कई शुभ मुहूर्त भी बना रहे हैं। जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग बुद्धदित्य जैसे शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है। अद्भुत संयोग में किए गए व्रत का पुण्य कई गुना फलदाई माना जाता है।
चांद की क्यों होती है पूजा
करवा चौथ के व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन चांद का पूजन करने के बाद छलनी से अपने पतियों का दीदार करती हैं और फिर उनकी आरती उतारती है। इसी के साथ व्रत पूर्ण होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं नीरज जल का व्रत रहकर भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करती हैं। मान्यता है की सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए रखा था। तभी से सनातन धर्म को मानने वाले लोग करवा चौथ के दिन अपने पति की विधि विधान पूर्वक लंबी दीर्घायु के लिए व्रत रखती है।