भिवानी: हरियाणा के चरखी दादरी जिले के चरखी गांव में एक किसान की भैंस की मृत्यु होने पर उसका विधि विधान से क्रिया कर्म करने के साथ ही उसकी तेरहवीं भी किये जाने का अनोखा मामला सामने आया है। पशुपालक सुखबीर ने बताया कि भैंस की मुत्यु होने पर उन्होंने उसका क्रिया कर्म किया तथा उसकी न केवल अस्थियां विर्सिजत की बल्कि तेरहवीं की भी रस्म भी निभायी।
उन्होंने बताया कि परिवार में भैंस को ह्ललाडलीह्व के नाम से पुकारा जाता था और परिवार ने मृत्युभोज का भी आयोजन किया। उन्होंने बताया कि मृत्युभोज के लिए नाते-रिश्तेदारों के अलावा ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया गया।
सुखबीर ने बताया कि उनकी भैंस ने 24 पड़िया को जन्म दिया जिनमें से अधिकतर पड़िया उनके ही परिवार ने पालीं। सुखबीर ने बताया कि उनके पिता रिसाल सिंह के समय यह भैंस उनके घर जन्मी थी।
उन्होंने बताया कि भैंस की करीब 29 साल में मृत्यु हो गई। उन्होंने बताया कि ये भैंस उनके परिवार के लिए शुभ थी और वे उसे परिवार का एक सदस्य ही समझते थे। जानकारी के अनुसार सुखबीर के परिवार ने भैंस के मृत्युभोज में लोगों को देशी घी का खाना परोसा।