न्यूयॉर्कः प्रौद्योगिकी संबंधी मामलों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत अमनदीप सिंह गिल ने कहा है कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़े पैमाने पर सफल अनुभव के मद्देनजर यह तय करने में भारत का एक अलग सुविधाजनक स्थान है कि ‘ग्लोबल साउथ’ में कृत्रिम मेधा की क्या भूमिका हो सकती है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संर्दिभत करने के लिए किया जाता है।
गिल ने कहा कि संभावित जोखिमों और चुनौतियों से निपटने के क्षेत्र में भारत का अनुभव भी विश्व के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने कहा, कि ‘एक बड़े विकासशील देश के रूप में डिजिटल पहचान, डिजिटल भुगतान तंत्र की नींव रखने और फिर डेटा प्रवाह, डेटा प्रबंधन मंचों का निर्माण शुरू करके बड़े पैमाने पर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के सफल अनुभव के मद्देनजर भारत का यह तय करने में अद्वितीय सुविधाजनक स्थान है कि ‘ग्लोबल साउथ’ में एआई कैसे काम कर सकता है।’’
गिल ने कहा कि भारत विकास के लिए एआई के जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल को बढ़ावा देने, वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों तक सभी की पहुंच, युवाओं की बढ़ती आबादी के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण सहित विकासशील देशों के सामने आने वाली कई चुनौतियों से निपटने में ‘‘नेतृत्व’’ कर सकता है।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ में इंडोनेशिया, ब्राजील, केन्या, दक्षिण अफ्रीका जैसे अपने उन साथी देशों के साथ भारत का रुख बहुत ‘‘महत्वपूर्ण’’ होगा जिनके पास चीन एवं अमेरिका जैसे देशों की तरह आर्थिक लाभ नहीं हैं। वर्ष 2016-2018 तक जिनेवा में निरस्तीकरण सम्मेलन में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि रहे गिल को पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने प्रौद्योगिकी पर अपना दूत नियुक्त किया था।