पटना: बिहार में पटना की एक विशेष अदालत ने सनातन धर्म पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं विकास विभाग के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दाखिल दो मुकदमों को एकीकृत करते हुए संज्ञान लेने के बाद सम्मन के उपकरण दाखिल करने का आदेश दिया।
सांसदों एवं विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत की न्यायाधीश सारिका बहालिया की अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के वकील डॉ. कौशलेंद्र नारायण तथा महावीर स्थान न्यास समिति के सचिव एवं भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल की ओर से दाखिल किए गए दोनों शिकायती मुकदमों को एक करते हुए भारतीय दंड विधान की धारा 153 ए, 295 ए, 298, 500 और 504 के तहत संज्ञान लिया एवं सम्मन के उपकरण दाखिल किए जाने का यह आदेश दिया है। अदालत ने दोनों शिकायतकर्ता को सम्मन के उपकरण दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए 12 जनवरी 2024 की अगली तिथि निश्चित की है।
गौरतलब है कि पटना उच्च न्यायालय के वकील एवं नेशन फर्स्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. कौशलेंद्र नारायण ने परिवाद पत्र संख्या 8062(सी) 2023 तथा महावीर स्थान न्याय समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने परिवाद पत्र संख्या 8548 सी 2023 दाखिल किया है। दोनों मामलों में जांच के बाद आज संज्ञान के बिंदु पर सुनवाई के लिए तिथि निश्चित थी।
दाखिल किए गए परिवाद पत्रों में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के उस बयान को सनातन धर्मावलंबियों की भावना को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया है, जिसमें कथित रूप से स्टालिन ने सनातन धर्म को रोग जनित कीटाणुओं और जीवाणुओं के समान बताया था। दोनों मामलों में एक ही अभियुक्त, एक ही समान आरोप और एक ही घटना होने के कारण अदालत ने एक साथ सुनवाई करने के लिए दोनों मामलों को मिलाकर एक करने का आदेश दिया है।