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मंत्री मीनाक्षी लेखी ने सतगुरु राम सिंह की 200वीं जयंती के मौके दो सौ का एक स्मारक सिक्का व दस रुपये का एक मुद्रा सिक्का जारी किया

श्री सतगुरु राम सिंह जी देश को ब्रिटिश शासकों के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए असहयोग और स्वदेशी को एक साधन के रूप में अपनाने वाले प्रथम व्यक्ति थे। मीनाक्षी लेखी

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नई दिल्ली। संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आज श्रद्धेय श्री सतगुरु उदय सिंह जी की गरिमामय उपस्थिति में नामधारी संप्रदाय के गुरु श्री सतगुरु राम सिंह जी की द्विशताब्दी जयंती के पावन अवसर पर 200 रुपये का एक स्मारक सिक्का और 10 रुपये का एक मुद्रा सिक्का जारी किया। लेखी ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में श्री सतगुरु राम सिंह जी के योगदान का स्मरण करते हुए बताया कि सतगुरु राम सिंह जी एक महान परोपकारी, विचारक, दूरदृष्टा और एक महान समाज सुधारक थे।उन्होंने कहा कि सतगुरु पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश को ब्रिटिश शासकों के नियंत्रण से आज़ाद कराने के लिए असहयोग और स्वदेशी को एक साधन के रूप में अपनाया।उन्होंने लोगों के बीच भारतीय बनने, भारतीय बने रहने और स्‍वदेशी ही खरीदने का निरंतर रूप से प्रचार किया।


उन्होंने लोगों से बालिका शिशु को बचपन में ही समाप्त न करने की अपील करते हुए लड़कियों को शिक्षा का समान अधिकार दिलाने के लिए सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। उन्होंने 1857 में लड़कियों और लड़कों के लिए विवाह की उम्र क्रमशः 18 और 20 वर्ष निर्धारित की थी। 1872 में उन्हें म्यांमार में निर्वासित कर दिया गया। श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि लोगों को श्री सतगुरु राम सिंह जी द्वारा किए गए त्याग, सहयोग, आत्मनिर्भरता एवं जियो और जीने दो के मार्ग को अपनाना चाहिए। श्री सिंह, सतगुरु राम सिंह जी द्वारा दिखाए गए मार्ग को अपनाकर भारत और फिर पूरे विश्व के कई अन्य देशों में पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लिथोग्राफी पर मुद्रित करने वाले पहले व्यक्ति थे। नामधारी सिखों ने नई दिल्ली के रमेश नगर में नामधारी गुरुद्वारे में 208वां प्रकाश पर्व मनाया। हजारों सिखों, विभिन्न नेताओं और विद्वानों ने महान गुरु सतगुरु राम सिंह जी को सम्मान देने के लिए गुरुद्वारे में शीश नवाया।

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