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फेफड़ों की बीमारियां बढ़ाने में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा योगदान है

फेफड़ों की बीमारियां बढ़ाने में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा योगदान है

नई दिल्ली : एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के तत्वावधान में सीएसआर के लिए एसोचैम फाउंडेशन द्वारा आयोजित इलनैस टू वैलनैस शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन प्रख्यात चिकित्सकों ने अपने विचार साझा किए। उन् होंने बताया कि वायु प्रदूषण कैसे फेफड़ों की बीमारियों का एक प्रमुख स्रोत बन गया है, इसके अलावा अन्य बीमारियां बढ़ाने में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइजिज लि., नई दिल्ली में सस्टेनेबिलिटी, ईएसजी और पब्लिक अफेयर्स के वाइस प्रैजीडैंट डॉ. करण ठाकुर द्वारा संचालित घटता वायु गुणवत्ता सूचकांक : स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक संभावित खतरा विषयक सत्र में वायु प्रदूषण के घातक प्रभाव पर चर्चा की गई और स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाला गया। पीएसआरआई अस्पताल, नई दिल्ली में पीएसआरआई इंस्टीच्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मैडीसन के अध्यक्ष डॉ. जी.सी. खिलनानी ने सत्र में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा,

‘फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव बहुत चिंताजनक हैं। लगभग 30 साल पहले क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का कोई मतलब नहीं था। आज सीओपीडी मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और इसका प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है।‘ उन् होंने कहा, ‘वायु प्रदूषण के कारण सीओपीडी रोगों के कारण आपातकालीन वार्डों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी 20 फीसदी से ज् यादा बढ़ गई है। घरेलू वायु प्रदूषण भी मौतों का कारण बनता है, जिसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहींं है। प्रदूषण वायु के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं।

गर्मी के महीनों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की तत्काल जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायु प्रदूषण की समस्या सर्दियों में लोगों को प्रभावित न करे।’ इसी सत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ रैस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मैडीसन के प्रिंसिपल डायरैक्टर और हैड, पल्मोनोलॉजी, क्लस्टर 1, मैक्स हैल्थकेयर के प्रमुख डॉ. विवेक नांगिया ने कहा, ‘वायु प्रदूषण भी मौजूदा बीमारियों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए मधुमेह का वायु प्रदूषण के साथ संबंध पाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘अब तक हमने मधुमेह के रोगी बढ़ने के लिए जीवनशैली के मुद्दों, मोटापे और आहार के मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन अब, एक बहुत ही निवारक जोखिम कारक जो सामने आ रहा है, वह है वायु प्रदूषण। अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लगातार संपर्क में रहने से मधुमेह के मरीज बढ़े हैं। स्लीप एप्निया एक और बड़ा मुद्दा है, जिसका लोग वायु प्रदूषण के कारण सामना कर रहे हैं।’

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