नई दिल्ली : विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जूझ रहे लोगों के लिए विशेषज्ञों ने कहा है कि समय पर इसकी पहचान, उचित उपचार के साथ बेहतर पोषण और व्यायाम इससे बाहर आने में मदद कर सकते हैं। दुनियाभर में हर साल 24 मई को विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। यह एक ऐसी गंभीर मानसिक बीमारी है जिससे पीड़ित लोगों को अक्सर भ्र्म जैसी स्थिति होती है। इस गंभीर बीमारी से दुनियाभर में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोगों को मतिभ्र्म , भ्र्म , अव्यवस्थित विचार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि ‘मानसिक स्वास्थ्य हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दुर्भाग्य से कई मिथक और अनावश्यक जानकारी के कारण इस समस्या को और बढ़ा दिया गया है। ऐसे में लोग कई बार अपनी बीमारी को पहचानने में देर कर देते हैं। इसी भ्र्म में परिवार इस बीमारी को समझने में सक्षम नहीं हो पाते।’ स्किजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक बीमारी है जिसके कई तरह के उपप्रकार हैं। इस बीमारी में दो तरह के लक्षणों को देखा जाता है। पहले लक्षणों में व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देती हैं, जो दूसरे नहीं देख या सुन पाते। जिसमें मतिभ्रम या भ्र्म जैसी स्थिति होती है।
इसके दूसरे लक्षणों में व्यक्ति खुद को बाकी दुनिया से कटा हुआ महसूस करता है और सामाजिक रूप से अलग-थलग हो जाता है। डा. समीर ने कहा जैनेटिक्स के साथ पर्यावरणीय कारक भी स्किजोफ्रेनिया बीमारी के लिए जिम्मेदार हैं। डाक्टर ने समझाया, स्किजोफ्रेनिया या संबंधित विकारों का एक मजबूत पारिवारिक इतिहास है। हम यह भी देखते हैं कि इसमें कुछ विशेषकर औषधियों के दुरुपयोग की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। जो मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में डोपामाइन प्रवाह को बढ़ा सकती है।
खराब जीवनशैली और अपर्याप्त पोषण भी बढ़ा सकता है स्किजोफ्रेनिया का खतरा वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. ज्योति कपूर ने बताया कि खराब जीवनशैली और अपर्याप्त पोषण भी स्किजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा, ‘जो लोग खराब आहार, व्यायाम की कमी, मादक द्रव्यों का सेवन और अपर्याप्त नींद जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों में शामिल होते हैं उनमें मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा अधिक होता है।
डॉक्टर ने यह भी बताया कि विशेष रूप से आवश्यक फैटी एसिड विटामिन और खनिजों में पोषक तत्वों की कमी मस्तिष्क के कार्य को खराब कर सकती है और स्किजोफ्रेनिया के लिए आनुवंशिक प्रवृत्ति को बढ़ा सकती है। इसके अलावा दीर्घकालिक तनाव और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी इसके पीछे प्रमुख कारण हो सकते हैं। डॉक्टरों ने इसके लिए संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद और जोखिम को कम करने और समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की सलाह दी है।