हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 1 सितंबर 2024

धर्म : रागु बिहागड़ा महला ५ ॥अति प्रीतम मन मोहना घट सोहना प्रान अधारा राम ॥ सुंदर सोभा लाल गोपाल दइआल की अपर अपारा राम ॥ गोपाल दइआल गोबिंद लालन मिलहु कंत निमाणीआ ॥ नैन तरसन दरस परसन नह नीद रैणि विहाणीआ ॥ गिआन अंजन नाम बिंजन भए सगल सीगारा ॥ नानकु पइअम्पै संत ज्मपै.

धर्म : रागु बिहागड़ा महला ५ ॥अति प्रीतम मन मोहना घट सोहना प्रान अधारा राम ॥ सुंदर सोभा लाल गोपाल दइआल की अपर अपारा राम ॥ गोपाल दइआल गोबिंद लालन मिलहु कंत निमाणीआ ॥ नैन तरसन दरस परसन नह नीद रैणि विहाणीआ ॥ गिआन अंजन नाम बिंजन भए सगल सीगारा ॥ नानकु पइअम्पै संत ज्मपै मेलि कंतु हमारा ॥१॥

अर्थ : (हे भाई!) परमात्मा बहुत ही प्यारा लगने वाला है, सब के मन मो मोह लेने वाला है, सब सरिरों में सोभ रहा है, सब के जीवन का सहारा है। उस दया के घर गोपाल प्यारे की सुंदर सोभा (पसर रही) है, बहुत बयंत सोभा है। हे दयाल गोबिंद! हे गोपाल हे प्यारे कान्त! मुझे निमानी को मिल। मेरी आँखे तेरे दर्शन की शुह हासिल करने के लिया तरसती रहती है। मेरी जिन्दगी की रात निकलती जा रही अहि, (पर मुझे तेरे मिलाप से पैदा होने वाली) शांति नहीं मिल रही। जिस को गुरु के बख्से ज्ञान का सुरमा मिल गया, जिस को (आत्मिक जीवन का)भोजन हरी-नाम मिल गया, उस के सरे (आत्मिक) सिंगार सफल हो गए। नानक सन जनों के चरण पड़ता है, संत जनों के आगे अर्जोई करता है, की मुझे मेरा प्रभु-पति मिलायो।१।

- विज्ञापन -

Latest News