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बच्चों को बुरी संगत से बचाने के लिए जरूरी टिप्स, अच्छा इंसान बनाने में साबित हो सकते हैं मददगार

नई दिल्ली: हमारे घर के बच्चों का व्यवहार परिवार के वातावरण से ही प्रभावित होता है। बच्चे जो कुछ देखते-सुनते हुए बड़े होते हैं, वही आदतें उनके साथ जीवनभर जुड़ी रहती हैं। माता-पिता का अच्छा व्यवहार और आदतें बच्चों को अच्छा इंसान बनाने में काफी मददगार होती हैं। बच्चों की परवरिश के दौरान पेरेंट्स की.

नई दिल्ली: हमारे घर के बच्चों का व्यवहार परिवार के वातावरण से ही प्रभावित होता है। बच्चे जो कुछ देखते-सुनते हुए बड़े होते हैं, वही आदतें उनके साथ जीवनभर जुड़ी रहती हैं। माता-पिता का अच्छा व्यवहार और आदतें बच्चों को अच्छा इंसान बनाने में काफी मददगार होती हैं। बच्चों की परवरिश के दौरान पेरेंट्स की सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि उनके बच्चे का पालन-पोषण अच्छी तरह से हो और उनमें अच्छे संस्कार विकसित हों। पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए प्रयास भी करते हैं।

बच्चों को बुरी संगत से बचाने के लिए उन्हें पर्याप्त समय जरूर देना चाहिए। अगर आप अपने बच्चे को पर्याप्त समय देते हैं तो इससे आपकी और बच्चे के बीच बॉ¨न्डग अच्छी होगी। बच्चा आसानी से अपनी बातें आपसे कह सकेगा और उसे किसी भी तरह की परेशानी होने पर आप उसकी मदद भी कर पाएंगे। अपने बच्चे के विचारों और भावनाओं को सुनने के लिए समय न निकालना एक बड़ी चूक हो सकती है। माता-पिता के साथ दोस्ताना संबंध होने से बच्चे के बुरी संगत में पड़ने के चांस भी कम हो जाते हैं।

माता-पिता के अलावा बच्चों की अन्य लोगों या दोस्तों के साथ संगत का असर उनके व्यक्तित्व और व्यवहार में दिखने लगता है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की राय और भावनाओं को तरजीह देते हुए उनमें भरोसे का भाव पैदा करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। आज के आधुनिक परिवेश में अधिकांश बच्चे संस्कार से कटे नजर आते है। ऐसे में माता पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों को संस्कार देने के साथ- साथ लोगों का सम्मान करना सिखाएं। साथ ही बच्चों की गलती पर उन्हें सुधारने के लिए प्रेरित करना एक अच्छा इंसान बनाने में सहायक हो सकता है। साथ ही बच्चों को माफी मांगना सिखाना भी जरूरी होता है।

ऐसे में माता -पिता कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो इससे उनके बच्चे की संगत भी खराब नहीं होगी और उसके अंदर संस्कार भी विकसित होंगे। आजकल बच्चों पर पढ़ाई को लेकर भी माता-पिता का बहुत ज्यादा दबाव रहता है। जरूरत से ज्यादा दबाव बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। पढ़ाई बेहद जरूरी है लेकिन माता पिता को बच्चों के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहिए।

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