सुप्रीम कोर्ट की Sadhguru Jaggi Vasudev को राहत, Isha Foundation पर लगाई रोक

मद्रास हाईकोर्ट ने फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगी थी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मद्रास हाईकोर्ट ने फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव को राहत देते हुए मद्रास कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोप था कि उनकी बेटियों लता और गीता को ईशा फाउंडेशन सेंटर नाम के आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। प्रोफेसर कामराज ने आरोप लगाया कि सेंटर में उनकी बेटियों को कुछ ऐसा खाना और दवा दी जा रही है जिससे उनकी संज्ञानात्मक क्षमता खत्म हो गई है। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों का ब्योरा पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी जांच के लिए आश्रम पहुंचे।

सद्गुरु ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी। मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा देगा, क्योंकि इसमें कोई प्रथम दृष्टया कारण नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों लड़कियां 2009 में आश्रम में आई थीं, जब उनकी उम्र क्रमश: 24 और 27 साल थी और तब से दोनों अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं।

उस समय उनकी उम्र 24 और 27 साल थी। वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। उन्होंने कहा कि कल रात से आश्रम में मौजूद पुलिस अब चली गई है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।उन्होंने कहा था कि आश्रम ने उनकी बेटियों को बंधक बना रखा है। कामराज ने यह भी कहा कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं।

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