रांची: झारखंड में 60 हजार से अधिक सहायक शिक्षक (पारा शिक्षक) 15 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। झारखंड राज्य सहायक शिक्षक एक्शन कमेटी ने मुख्यमंत्री और राज्य के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को लिखित तौर पर अपने इस फैसले की जानकारी दे दी है। सहायक शिक्षकों की हड़ताल से राज्य में हजारों सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन ठप हो सकता है। राज्य में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका की 5 अक्टूबर से जारी हड़ताल के कारण 38 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र पहले से ही ठप पड़े हैं।
सहायक शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार ने वेतन और ईपीएफ को लेकर पूर्व में किए गए समझौते को लटकाकर रखा है। इस मामले में 28 अगस्त को राज्य सरकार के साथ वार्ता हुई थी। राज्य सरकार ने सहायक शिक्षकों को वेतन के समकक्ष मानदेय और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ देने का आश्वासन दिया था। एक्शन कमेटी का आरोप है कि यह समझौता अब तक राज्य कैबिनेट में पारित नहीं हुआ, जिसके कारण उन्हें हड़ताल पर जाने का निर्णय लेना पड़ा है। सहायक शिक्षक एक्शन कमेटी के प्रतिनिधि सिद्दीक शेख ने हड़ताल से पहले आंदोलनात्मक कार्यक्रम की घोषणा की है। सहायक शिक्षक हड़ताल से एक दिन पहले 14 अक्टूबर को वित्त मंत्री, शिक्षा मंत्री और सत्तारूढ़ विधायकों की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकालेंगे।
15 अक्टूबर से हड़ताल शुरू होने के बाद, 17 अक्टूबर को सभी हड़ताली शिक्षक रांची में मुख्यमंत्री के आवास का अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे। आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए आंदोलनकारी शिक्षकों ने झारखंड दौरे के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सत्ताधारी दलों के अन्य नेताओं को काले झंडे दिखाने का भी ऐलान किया है। हड़ताल को सफल बनाने के लिए प्रमुख नेताओं की समिति का गठन किया गया है, जिसमें बिनोद तिवारी, बिनोद बिहारी महतो, संजय दुबे, ऋषिकेश पाठक, सिद्दीक शेख, सिंटू सिंह, विकास कुमार, निरंजन कुमार डे, सुमन कुमार, बिलाल अहमद, नरोत्तम सिंह मुंडा और सुशील कुमार आदि शामिल हैं।